Modinagar। प्रशासन द्वारा गृह मंत्रालय के आदेशानुसार की जा रही कार्रवाही के क्रम में गांव सीकरीखुर्द व आसपास की अनेक काॅलोनियों की संपत्ति को शत्रु सम्पत्ति की सूची में चिन्हांकित किए जाने से डरे व सहमें सीकरीखुर्द व आसपास की कालोनियों के हजारों लोग अब लामबंद होते नजर आ रहे है। शत्रु संपत्ति की सूची में चिन्हांकित हुए लोगों ने कार्रवाही से निजात पाने के लिए हस्ताक्षर अभियान छेड़ने का बिगुल बचाने का निर्णय लिया है। जिससे की वह अपनी एकजुटता दिखा सकें। इस मामलें में पीड़ित लोगों ने गांव सीकरीखुर्द में एक पंचायत भी आहूत की है। जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई है।
लोगों का आरोप है कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कराने में अहम भूमिका निभाई है, उनके खिलाफ अ बवह चुप नहीं बैठेंगे। इतना ही नही इस मामले में अब पीड़ित लोग न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से भी गरेज नही करेंगे। उधर, प्रशासनिक स्तर पर जमीन पर कब्जा लेने की तैयारी हो चुकी है। सबसे पहले प्रशासन जमीन के बड़े रकबे पर कब्जा लेने की योजना बना रहा है। इसके बाद प्रोपर्टी डीलरों के कब्जे से जमीन को कब्जामुक्त कराया जाएगा। जमीन पर कब्जे की स्थिति की पूरी रिपोर्ट डीएम को भी भेजी जा चुकी है।
गौरतलब हो कि गृह मंत्रालय के दिशा निर्देंशों के क्रम में प्रशासन मोदीनगर तहसील अन्तर्गत गांव सीकरीखुर्द व आसपास की काॅलोनियों की लगभग 1800 बीघा जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर चुका है। सैकड़ों साल पुराने एतिहासिक गांव सीकरीखुर्द के लोगों को अचानक इस बात का पता चला तो वह दंग रह गयें। आरोप है कि चकबंदी व प्रशासनिक अधिकारियों ने कुछ नेताओं से गठजोड़ कर संपत्ति को हड़पने की योजना तैयार की है। 70 वर्ष से भी अधिक बाद शत्रु संपत्ति घोषित होने की बात सामने आ रही है। यहां ऐसे भी लोग हैं जिनके पास 1930 के बैनामे हैं। अगर यह शत्रु संपत्ति थी, तो इसके बैनामे उसी समय बंद होने चाहिए थे। दस गुना लगान लेकर जमीन कास्तकारों के नाम की गई, उस समय भी कोई नहीं जागा। यह सब अधिकारियों व नेताओं के गठजोड़ का परिणाम है। सीकरीखुर्द के लोगों ने 1857 में अग्रेंजों को धूल चटाने का काम किया था। इसी तरह नेताओं और अधिकारियों को भी सबक सिखाने का काम अब किया जाएगा। पीड़ित लोगों ने गांव में आहूत हुई पंचायत में जनप्रतिनिधियों पर भी अपनी जमकर भड़ास निकाली और कहा कि जनप्रतिनिधियों की इस प्रकरण में संलिप्ता से इंकार नही किया जा सकता।
गांव निवासी पीड़ित लोगों ने कहा कि क्षेत्र में रहने वाले 50 हजार से अधिक लोग अपनी संपत्ति को बचाने के लिए हर स्तर की लड़ाई लड़ने को कटिबद्ध है। जल्दी ही इस मामले में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, और फिर भी बात ना बनने पर लोग एकजुटता का प्रदर्शन कर बड़ा आंदोलन व न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से भी गुरेज नही करेंगे।
इधर, एसडीएमए मोदीनगर शुभांगी शुक्ला का तर्क है कि हमें जमीन की पूर्व की स्थिति से कोई मतलब नहीं है। वर्तमान में जमीन शत्रु संपत्ति घोषित हो चुकी है। गृह मंत्रालय से इसकी निगरानी हो रही है। मामले में हमें न तो कोई न्यायालय का आदेश प्राप्त हुआ है। प्रशासन द्वारा गृह मंत्रालय भारत सरकार व आलााधिकारियों के आदेश के क्रम में इस प्रकरण में त्वरित कार्रवाही की जा रही है।

Disha bhoomi
Disha Bhoomi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *