Disha Bhoomi

Modinagarबढ़ते तापमान के साथ ही भीषण गर्मी में उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया, मलेरिया आदि संक्रमक रोगों का प्रकोप तो बढ़ ही गया है। सरकारी व निजी अस्पतालों की ओपीडी में सांस रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। वजह, वातावरण में धूल, धुआं तो वातावरण में है ही, गेहूं की कटाई के बाद प्रदूषण और बढ़ गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गोविन्दपुरी में रोजाना 30-40 सांस रोगी उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। चिकित्सक रोगियों को सुरक्षा बरतने की सलाह दे रहे हैं। मास्क, रूमाल आदि लगाने से धूल के कण अंदर नहीं जाएंगे।
मास्क का करें इस्तेमाल
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक डाॅ0 करन बताते हैं कि अस्पताल में काफी सांस रोगी बढ़े हैं। मुख्य कारण धुआं और प्रदूषण है। इससे सांस व अस्थमा रोगियों की परेशानी भी बढ़ गई है। दरअसल, गेहूं की कटाई के बाद दाने निकालने के लिए दिनरात थ्रेसर चालू हैं। इससे तेज हवा के चलते बारीक कण वातावरण में मिश्रित हो रहे हैं, जो सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच रहे हैं। इससे सांस नली बाधित हो रही है। प्रत्येक वर्ष गेहूं की कटाई इसलिए घर से निकालते समय मुंह पर कपड़ा या मास्क जरूर लगा लें। इससे कोरोना के साथ-साथ प्रदूषण से भी बचाव होगा। मास्क, रूमाल आदि लगाने से धूल के कण अंदर नहीं जाएंगे। अत्याधिक ठंडी चीजों से भी बचने की जरूरत होती है। अस्पताल आने वाले सांस रोगियों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
ये भी करें उपाय
. घर से निकलें तो मास्क, रूमाल या कपड़ा लगाएं।
. एलर्जी की समस्या हो तो ठंडी व खट्टी चीजों से भी परहेज करें।
. अत्याधिक ठंडे स्थान (एयरकंडीशन आदि का प्रभाव) से तुरंत धूप में न निकलें।
. इन्हेलर का इस्तेमाल करते हैं, तो उसे हमेशा साथ रखें।
. समस्या ज्यादा बढ़ रही हो तो अपने चिकित्सक से सलाह लें

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