Modinagr। शहर में अवैध कालोनियां यू ही नहीं आबाद हुईं। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने मनमानी रोकने से आंखें तो फेरी ही, साथ ही बिजली, नगर पालिका, लोक निर्माण जैसे विभागों ने भी नियम-कानूनों को दरकिनार कर इन्हें बढ़ावा दिया। अब शहर के चारों तरफ अवैध कालोनियों का मकड़जाल बन गया है। पांच प्रतिशत से भी कम वैध कालोनियां हैं। अवैध की संख्या अनगिनत है। हर रोज इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होने से शहर का विकास भी सिसक रहा है। इसके बाद भी जिम्मेदार अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। प्रापर्टी डीलर प्राधिकरण के राजस्व को भी हर साल अवैध कालोनियो से मोटी चपत लगा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी शहरों में बढ़ते अवैध निर्माण पर चिंता जताई है।
बगैर नक्शा पास किए बनीं कालोनी
शहर में सुनियोजित विकास की जिम्मेदारी जीडीए की होती है। इसके लिए प्राधिकरण द्वारा महायोजना तैयार की जाती है। फिलहाल महायोजना 2021 संचालित है। प्राधिकरण इसी के हिसाब से शहर में नक्शे पास करता है। नक्शा पास करने के लिए संबंधित व्यक्ति से राजस्व जमा कराया जाता है। इस राजस्व से शहर में विकास कार्य होते हैं, लेकिन दशकों से शहर में बेतरतीब तरीके से निर्माण कराया जा रहा है। तकरीबन दो सौ से अधिक अवैध कालोनियों से शहर जकड़ चुका है। वहां बुनियादी सुविधाओं के लिए जरूरी संसाधन तक नहीं हैं। जीडीए से बिना ले आउट और नक्शा पास कराए ही कालोनियां बनती चली जा रही हैं।
धड़ाधड़ चल रहा है निर्माण
गांव सीकरीकला, सीकरीखुर्द, फफराना रोड, दिल्ली- मेरठ मुख्य मार्ग, हापुड़ रोड़, भोजपुर, निवाड़ी रोड, कादराबाद, सारा रोड़, गांव कलछीना मार्ग, पिलखुवा मार्ग, देव बिहार, गांव शाहजहापुर रोड, तिबड़ा रोड, ऊंची सड़क मार्ग आदि दर्जनों स्थानों पर सैकड़ों बीघा क्षेत्र में कई अवैध कालोनी काटी जा रही है। यहां भी प्राधिकरण के अफसरों का ध्यान नहीं है। इन स्थानों के अतिरिक्त भी दर्जनों स्थानों पर बिना ले आउट पास कराए कालोनी विकसित की जा रही है।
अवैध निर्माण भी
अवैध कालोनियों के साथ ही शहर में अवैध निर्माणों की भी भरमार है। प्रस्तावित आवासीय क्षेत्रों में व्यावसायिक भवन बन रहे हैं। शहर के हाइवे, काॅलोनी के मुख्य गेट पर, आवासीय काॅलोनी के भीतर क्षेत्र में कई अवैध निर्माण हो रहे हैं। यंहा भी बिना नक्शा पास कराए निर्माण कार्य हो रहे हैं। जिम्मेदार अफसर नोटिस भेजकर खानापूर्ति करते हैं।
बिना जांच कैसे मिला लाभ
अवैध कालोनियों को रोकने के लिए जीडीए की तो जिम्मेदारी है, साथ ही अन्य कई अन्य सरकारी विभाग भी इन्हें बढ़ावा देने में पीछे नहीं है। अवैध होने के बावजूद बिजली, पानी के वैध कनेक्शन जारी कर दिए गए। सरकारी रकम से सड़कें बनवा दी गईं। ऐसे में सवाल यह है कि बिना जांच के वहां बिजली-पानी के वैध कनेक्शन कैसे मिल गए।
अवैध निर्माण को लेकर जीडीए के अधिकारी जिम्मेदार
हांलही में जीडीए की प्रवर्तन प्रभारी गुंजा सिंह के नेतृत्व में एक दिन एक दो अवैध काॅलोनियों के खिलाफ खानापूर्ति करते हुऐ कार्रवाही की गई थी। जब कि अनेक शिकायतों के बाबजूद एक दो को अगर छोड़ दिया जायें तो कही भी सिलिंग की कार्रवाही नही की गई। सवाल पूछने पर कहा जाता है कि प्राधिकरण अधिनियम 1973 के अन्तर्गत धारा 27 व धारा 28 के तहत कार्रवाही की जा रही है। ध्वस्तीकरण के लिए पुलिस बल की मांग की गई है, पुलिस बल उपलब्ध होने की दशा में ध्वस्तीकरण की कार्रवाही की जायेंगी। ये सवाल जबाब वर्षाें तक चलते रहते है ओर तब तक बिल्ड़िग या अवैध काॅलोनी बनकर भी तैयार हो जाती है।
क्या कहते है अधिकारी
इस संबन्ध में जब जीडीए के अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना है कि अब आचार संहिता खत्म हो गई है। जल्द ही अभियान चलेगा। इनमें अवैध कालोनियों को प्राथमिकता से ध्वस्त किया जाएगा। आवासीय नक्शे पर व्यावसायिक निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।