Modinagar। हापुड रोड स्थित एक पब्लिक स्कूल के (11) वर्षीय छात्र की बस में सवार होने के दौरानदीवार से सिर टकराने के दौरान बुधवार को घर से स्कूल जाते समय हादसे में हुई मौत के मामले में नामजद आरोपी प्रबंधको के खिलाफ कार्यवाही की मांग व हिरासत में लिए गये प्रधानाचार्य को देर रात्री थाने से रिहा कर दिए जाने से गुस्साएं परिजनों का गुस्सा दूसरे दिन गुरूवार की सुबह फिर फूट पडा। आक्रोशित परिजनों ने थाने के सामने दिल्ली-मेरठ मुख्य मार्ग पर थाने के सामने करीब तीन घंटे से अधिक समय तक जाम लगाये रखा और हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच पुलिस अधिकारियों से भी प्रदर्शनकारियों व पत्रकारों द्वारा घटना की कवरेज किए जाने को लेकर जमकर नोकझोक हुई। भाजपा के जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल व पूर्व विधायक पं0 सुदेश शर्मा की मौजूदगी में एसपी देहात डाॅ0 ईरज राजा ने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि वह तीन दिन के भीतर इस प्रकरण की पूरी घटना की जांच करेगें और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाही की जायेंगी।
बताते चले कि फफराना रोड स्थित सूरत सिटी निवासी नितिन भारद्वाज सीएमओ कार्यालय मुरादाबाद में कार्यरत हैं। उनके एक पुत्री अंजली व पुत्र अनुराग भारद्वाज (11) वर्षीय जो हापुड़ रोड़ स्थित दयावती मोदी पब्लिक स्कूल में चैथी कक्षा का छात्र था, वह प्रतिदिन की भांति बुधवार को घर से स्कूल बस में बैठकर सुबह स्कूल जा रहा था। हापुड़ रोड पर नगर पालिका गेट से आगे स्कूल की ओर मुड़ते समय हादसा हुआ। बस चालक ने स्कूल प्रबंधन को सूचना दी, कि बच्चा अपनी गर्दन बाहर निकाल उल्टी कर रहा था, इसी बीच उसका सिर सड़क किनारे दीवार में जा लगा, जिससे वह लहूलुहान हो गया। बस चालक बच्चों को स्कूल में उतारकर फरार हो गया। स्कूल प्रबंधन ने आनन-फानन अनुराग को स्थानीय जीवन अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। हादसे ही जानकारी मिलने पर छात्र अनुराग भारद्वाज के परिजन व स्थानीय लोग दयावती मोदी पब्लिक स्कूल पहुंचें थे। एसपी देहात इरज राजा, एसडीएम शुभांगी शुक्ला व सीओ सुनील कुमार सिंह भारी पुलिस बल के साथ स्कूल पहुचें थे और काफी जद्दोजहद के बाद पुलिस ने छात्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था, जंहा बुधवार की रात्री पोस्टमार्टम के बाद यंहा पंहुचे छात्र के शव का हापुड़ रोड स्थित शमशान घाट पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दाह संस्कार कर दिया गया था।
गुरूवार को पीड़ित परिजनों को सूचना मिली की गिरफ्तार किए गये नामजद स्कूल के प्रधानाचार्य एनपी सिंह को पुलिस ने देर रात्री थाने से रिहा कर दिया। इससे क्षुब्ध परिजन व सैकड़ों लोग थाने के समक्ष पंहुचे ओर वह स्कूल प्रधानाचार्य व प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाही की मांग को लेकर दिल्ली- मेरठ मुख्य मार्ग स्थित थाने के सामने बैठ गये। करीब तीन घंटे जाम के चलते शहर बेहाल हो गया। स्कूल कालेज गये छात्रो का अभिभावक इंतजार करते दिखे तो नौकरीपेशा करने वाले लोग व वाहनो की आवाजाही ठप्प हो गई। जाम खुलने के बाद दोपहर एक बजे जाकर आवागमन जारी हो सका।
जाम की सूचना पाकर एसपी देहात डाॅ0 ईरज राजा, सीओ सुनील कुमार, थाना प्रभारी अनीता चौहान पुलिस बल के साथ पहुंचे और परिजनो को काफी समझाने का प्रयास किया। इस बीच परिजनों की पुलिस अधीक्षक डाॅ0 ईरज राजा से भी जमकर नोकझोक भी हुई। जिससे माहौल गर्मा गया। प्रदर्शनकारियों के हंगामे के इस दौर में पालिका के पूर्व सभासद लोकेश डोढ़ी से भी नोकझोक हो गयी। पूर्व सभासद को तो हवालात में डाल दिया गया। तीन घंटे से अधिक जाम के कारण वाहनो की कतारेें कई किलोमीटर तक लग गयी। भाजपा के जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल, रालोद के पूर्व विधायक पं0 सुदेश शर्मा भी पहुंच गये तब अधिकारियो से वार्ता होने के बाद मामला शांत पडा। पुलिस अधिकारियों ने तीन दिन के भीतर घटना की त्वरित जांच का लिखित आश्वासन परिजनों को दिया है। मामले में यूके मोदी ग्रुप के चेयरमैन सेठ उमेश कुमार मोदी, प्रधानाचार्य नेत्रपाल सिंह, बस चालक ओमबीर व अन्य स्कूल प्रबंधन के खिलाफ हत्या व षडयंत्र की धाराओं में रिपोर्ट कराई गई है।
हर कोई गमगीन
छात्र अनुराग की मौत से जहाँ एक ओर शहरवासी गमगीन है, वहीं छात्र, अभिभावक व स्कूल की शिक्षिकाओं से लेकर स्टाॅफ तक की आंखे छात्र की याद कर भरभरा रही है।
बस का फिटनेस प्रमाण पत्र भी नही था
आल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव सचिन सोनी ने कहा कि दयावती मोदी पब्लिक स्कूल का छात्र अनुराग दर्दनाक हादसे में काल का ग्रास बन गया, ये दुखद घटना स्कूल, परिवार व प्रशासनिक अधिकारियों आदि सभी के लिए एक सबक लेने लायक है। जो बस बच्चों को लाने ले जाने के लिए उपयोग में लायी जा रही थी। उसका फिटनेस प्रमाणपत्र समाप्त है, बल्कि आरटीओ विभाग द्वारा उक्त बस को ब्लैक लिस्ट कर रखा है। अब सवाल ये है, कि जब बस ब्लैक लिस्ट है तो स्कूल उसे उपयोग में क्यो ला रहा था। किसी भी वाहन को मात्र ब्लैक लिस्ट कर देने से ही आरटीओ विभाग की जिम्मेदारी पूरी नही हो जाती है। आगे से इस तरह की दुर्घटना से बचने के लिए सर्वप्रथम अभिभावकों को सचेत होना पड़ेगा। जिस वाहन में उनका बच्चा स्कूल जा रहा है। उस वाहन की ऑनलाइन जांच करें, पूर्ण स्टाफ बस में मौजूद है अथवा नही, यदि कम है तो उसकी लिखित शिकायत स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ सम्बंधित विभागों को भी करें, जिससे की इस तरह की दुर्घटना की पुनावृर्ति ना हो। सोनी ने अभिभावकों से अपील की है कि दयावती पब्लिक स्कूल व अन्य स्कूलों की बसों की भी ऑनलाइन जांच करें कि वह मानकों पर खरी है अथवा नही।
31 तरह के है स्कूली वाहनों के मानक
स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर 31 तरह के मानक परिवहन विभाग द्वारा तय किए गए है।
जिसमें मुख्य मानकों में चालक वर्दी में हो, बस व वैन की उम्र (15) वर्ष से अधिक न हो, प्रदूषण प्रमाण पत्र हो, रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र हो, परमिट वैध हो, डीएल पांच वर्ष पुराना हो, सीएनजी का नो लिकेज प्रमाण पत्र हो, वाहन का रंग पीला हो, रिफलेक्टर टेप लगा हो, इमरजेंसी गेट लगा हो, सावधान स्कूल बच्चें है लिखा हो, नम्बर प्लेट साफ हो, पावदान की ऊंचाई एक फिट से अधिक न हो, खिड़की में ग्रिल लगा हो, फस्र्ट एड बाक्स हो, अग्निशमन यंत्र हो, प्रेशर हार्न न हो, बैग रखने की जगह हो, बोतल रखने के लिए क्लिप हो, स्पीड गवर्नर हो, जीपीएस सिस्टम लगा हो, सीटों की स्थिति अच्छी हो, बच्चों को उल्टी आने की दशा में पाॅलोथिन अथवा यूज एडं थू्र बैग का प्रयोग कराया जायें, चालक सहित दो परिचालक, बच्चों को चढ़ाने एवं उतारने के लिए स्कूल का एक सहायक या सहायिका भी होनी चाहिए, बस के दरवाजे ठीक से बंद होने चाहिए और चलती बस का दरवाजा लॉक होना चाहिए, स्कूल बस की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए।
