Kolkata – कोलकाता से करीब 220 किमी और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन से 60 किमी दूर बोगतुई गांव आता है। गांव में करीब 100 घर हैं, जो सभी मुस्लिमों के हैं। ममता बनर्जी की पार्टी TMC के स्थानीय नेता भादु शेख की मौत के बाद 21 मार्च को यहां दर्जनभर घरों में आग लगा दी गई, जिसमें 10 से ज्यादा लोग मारे गए।
अब हाईकोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की जांच CBI कर रही है। बंगाल BJP ने इस मामले में केंद्र सरकार से दखल देने की मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार ने भास्कर से बातचीत करते हुए तमाम सवाल खड़े किए हैं। पढ़िए ये इंटरव्यू।
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के अंदर ही संघर्ष चल रहा है। जहां हिंसा हुई, उस बोगतुई गांव से बालू और पत्थर का कोई भी ट्रक बिना उगाही के नहीं निकल सकता। 200 से लेकर 500 रुपए तक कमीशन लिया जाता है। यह पूरी उगाही TMC के स्थानीय नेता बीते 10-12 सालों से करते आ रहे हैं। इसका शेयर थाने से लेकर टॉप लीडरशिप तक पहुंचता है। कमीशन के बंटवारे को लेकर ही विवाद हुआ, जिसके बाद भादू शेख की हत्या हुई और फिर TMC के ही दूसरे गुट ने दजर्नभर घरों में आग लगा दी।
एक मीडिया संस्थान ने ही खुलासा किया है कि इस गांव से ही हर रोज 75 लाख रुपए तक सिर्फ लोकल थाने में जाते थे। हर रोज 24 लाख स्थानीय नेता के पास पहुंचते थे। अब आप समझ जाओ कि कितने बड़े पैमाने पर टोलाबाजी का खेल बंगाल में चल रहा है।
भादू शेख जिसकी हत्या की गई है, वो एक चिकन-मीट की शॉप में हेल्पर था। 2011 में TMC से जुड़ने के बाद उसने इतना पैसा बनाया कि उसके जैसा बंगला आज शायद किसी MLA, MP तक का भी नहीं होगा। ममता के कहने पर जिस TMC के ही अनारूल शेख को गिरफ्तार किया गया है, वो मजदूरी करता था। आज करोड़पति है।
हमने केंद्र सरकार से अपील की है कि इस मामले में ED को जांच में शामिल किया जाए, क्योंकि बड़े पैमाने पर पैसों का अवैध लेनदेन हो रहा है। इसी वजह से इतनी बड़ी हिंसा हुई। हमें स्थानीय लोगों ने ही बताया है कि कुछ लोगों को ग्रिल तोड़कर घर से निकाला गया, वहीं काटा गया और फिर पेट्रोल डालकर आग लगाई गई।
पहले कहा जा रहा था कि शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। फिर कहने लगे टीवी ब्लास्ट हुआ। पूरे मामले को दबाने की कोशिश हो रही थी, लेकिन हिंसा इतनी बड़ी हुई कि कुछ छुप नहीं सका।
आप खुद ही सोचिए कि हाइकोर्ट को यह कहना पड़ा कि जहां घटना हुई है, वहां 24 घंटे CCTV लगे होना चाहिए। उसकी रिकॉर्डिंग होना चाहिए और ये भी कहा कि उसकी निगरानी पुलिस नहीं बल्कि जिला जज द्वारा रखी जाएगी। सैंपल कलेक्ट करने का काम भी सेंट्रल फोरेंसिक लैबोरिटी को दिया गया। मतलब कोर्ट को ही पुलिस और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है। इससे लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन का सच सामने आता है।
मौत का सही आंकड़ा सामने आया ही नहीं। पहले दिन कहा जा रहा था कि सात लोग मारे गए। दूसरे दिन कहने लगे 12 लोग मारे गए। कितने लोग मारे गए हैं, ये आंकड़ा अभी पता नहीं चला है। 20 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार जरूर किया गया है, लेकिन TMC के जिला अध्यक्ष को अरेस्ट नहीं किया गया, क्योंकि वो SP-DM से ऊपर हैं। SP-DM तो उनके घर जाकर मीटिंग करते हैं।
हम इस मामले में केंद्र सरकार का दखल चाहते हैं। संविधान में बहुत से ऐसे प्रावधान हैं, जिसके जरिए केंद्र सरकार दखल दे सकती है। यहां कटमनी के साथ ही हिंसा सबसे बड़ी दिक्कत है। इस गांव में कभी BJP की सरकार नहीं रही। पूरी मुस्लिम आबादी है। पिछले चुनाव में हमें महज 8 वोट मिले थे। इसके बावजूद हमारे सांसदों की टीम मौके पर सच जानने के लिए पहुंची। वहां इतनी हिंसा है कि इंडिया के अंदर ही अफगानिस्तान नजर आता है।

 

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