मोदीनगर। बरसात से सब्जी उत्पादक किसानों पर सबसे अधिक असर पड़ा है। सड़ने के डर से मंडी में टमाटर की आवक इतनी बढ़ गई है कि भाव चार रुपये किलो पर पहुंच गए हैं। आलू,प्याज के दामों पर तो बड़ा असर नहीं पड़ा है, लेकिन अन्य मौसमी सब्जियां भी बरसात के कारण सस्ती हो गईं हैं। इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है। वहीं फुटकर में सब्जी बेचने वाले ठेलों पर अभी भी महंगाई बरकरार है।  हालांकि, एक बरसात और हो गई तो सब्जियां महंगी हो सकती हैं।
सब्जी उत्पादक फरीदनगर निवासी अयूब खान ने बताया कि मौसम का भी सब्जियों के दामों पर काफी असर पड़ता है। बरसात से टमाटर के थोक के दामों पर बहुत असर हुआ है। बरसात से पहले टमाटर महंगा था। लेकिन, अब चार रुपये किलो बिक रहा है। मटर, गोभी और शिमला मिर्च बाहर से आ रहीं हैं। इसलिए इनके दामों पर कोई खास असर नहीं है। प्याज और आलू के दाम भी थोड़ा बहुत ही इधर-उधर हुए हैं। बरसात के बाद लोकल सब्जियों के थोक के दामों पर असर पड़ रहा है। मंडी समिति के आढ़ती मुकेश कुमार सैनी ने बताया कि तुरई, लौकी, मिर्च, धनिया सब मंडी में सस्ते दामों में बिक रहीं हैं। तरबूज और खरबूजा की पालेज लगाने वाले किसानों को भी फसलों के दाम ठीक से नहीं मिल पाए। कोरोना संक्रमण और बरसात के बाद सब्जियों को बेचना मुश्किल हो गया है। फसलों के दाम ही ठीक से नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में आसपास में ही सब्जियां बेचनी होती हैं। किसान बिजेन्द्र सिंह ने बताया कि सब्जी और फलों की खेती करने वाले किसानों पर कोरोना की सबसे अधिक मार पड़ी है। मडी में ग्राहक नहीं आने से भी सब्जियां सस्ती बिक रही हैं। लेकिन, सरकार को किसी की परवाह नहीं है।

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