कई बार मनुष्य के न चाहने पर भी कुछ ऐसी घटना घटती हैं कि सब कुछ बदल जाता है। रामदेव भी उसी दैवीय इच्छा के शिकार हैं। रामदेव कर्क लग्न के हैं। यह लग्न या तो सम्राटों का होता है या परिव्राटों का इस लग्न में भगवान राम भी हुए और सद्दाम हुसैन भी जार्ज बुश भी हुए और सोनिया गांधी भी यह लग्न संघर्षों की परिणति है। रामदेव सहित सभी जातक जो इस लग्न से जुड़े होते हैं, उनका जीवन संघर्षों में ऊंचाई चढ़ता है। विवादों से इनका निरन्तर सम्बन्ध होता है। इसी कारण विरोध बढ़ता है और विरोध इनको आगे बढाने के लिए जूझने की क्षमता देता है। लेकिन सदा ऐसा नहीं होता। इस बार की लड़ाई हालांकि रामदेव ने नहीं छेड़ी। वह एक निजी समूह में एक व्हाट्सएप डाटा पढ़ रहे थे। फिर भी उन्होंने उसके लिए माफी मांग ली लेखों तथा कथित लॉबी उन्हें दबोचने और नीचा दिखाने के लिए एकजुट हो गई। यह निश्चय ही एक बड़ी विपरीत स्थिति है, जो बड़े व्यापक पैमाने पर संगठित विरोध की अवस्था पैदा करती है। इससे रामदेव को निश्चय ही बड़ा लाभ होगा, लेकिन उन्हें काफी कुछ खोना भी पड़ सकता है।
स्वामी रामदेव का जन्म 25 दिसंबर 1965 को तद्नुसार विक्रम सम्वंत् 2022 शक सम्वंत् 1887 पौष 10 गते शनिवार (समय 20 बजकर 24 मिनट) श्रवण नक्षत्र में धनु नवमांश, कर्क लग्न, मकर राशि में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अलीपुर गांव में हुआ।
लग्नेश चंद्रमा सप्तम में, दशमेश व पंचमेश मंगल तथा चतुर्थेश व लाभेश शुक्र के साथ मकर राशि में स्थित है, जो सप्तम में शुक्र-चंद्रमा-मंगल की युति के कारण रुचक नामक पंच महापुरुष योग व महालक्ष्मी योग का निर्माण कर रहा है।
स्वामी रामदेव के लग्न पर मंगल, केतु की दृष्टि एवं चतुर्थेश व लाभेश शुक्र और उस पर भाग्येश, बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि है, जो बहुत घातक है, जब जब इन ग्रहों का सम्बन्ध गोचर से बनेगा, वे स्वस्थ नहीं रह पाएंगे।
धनेश एवं कुटुंबेश सूर्य छठे स्थान पर होने के कारण घर कुटुंब से अलग करता है। बचपन से ही स्वामी रामदेव घर से बाहर हैं।
छठे घर में एवं भाग्येश मित्र बृहस्पति की राशि धनु में स्थित सूर्य, घोरशत्रुनाशक योग का निर्माण करते हैं। इसी कारण वे राजनीति से अध्यात्म तक छा पाए। उनका शत्रुहंता योग युनके शत्रु को आसानी से निपटा देता है।
सप्तम में चंद्रमा, शुक्र और मंगल उन्हें आयुर्वेद में खींचकर लाए। जिन्होंने स्वामी रामदेव को आयुर्वेद और योग में विश्वव्यापी परिव्राट बनाया।
शनि, अष्टम भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि में होने के कारण वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुए हैं। लेकिन कर्क लग्न के लिए बुध, शुक्र और शनि अपने दुष्प्रभाव देते रहते हैं। यही कारण है कि रामदेव को बाल्यकाल में ही भयंकर पैरालाइसिस से दो चार होना पड़ा। घर छोड़कर हिमालय की शरण में जाना पड़ा और कठोर, निर्दयी अवस्थाओं से गुजरना पड़ा। ये ही ग्रह उन्हें विश्व स्तर पर लड़ने के लिए बाध्य भी कर सकते हैं। उन पर अंतरराष्ट्रीय मुकदमे भी चलाये जा सकते हैं।
भाग्येश बृहस्पति व्यय भाव में होने के कारण उन्हें दुनिया भर में घुमाएंगे और अदालतों के चक्कर भी कटवाएंगे। इसी कारण वे विदेश में किसी सुनियोजित हमले का शिकार भी हो सकते हैं। उनके प्रबल शत्रु अवसर की तलाश में रहेंगे। हालांकि मकरगत उच्चस्थ मंगल उन्हें व्यापक जन समर्थन और धन प्राप्ति के योग बनाता रहेगा। वैश्विक शासनों और असाधारण धन क्षमता वाले मानव समूह से जोड़ेगा। लेकिन असावधानीवश इससे उन्हें हानि भी हो सकती है।
वर्तमान में उनकी शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है। सितंबर 2021 तक उन्हें अति सावधानी की आवश्यकता है। वस्तुतः शनि की महादशा उनके लिए एक बुरी महादशा सिद्ध हो सकती है। जिससे रामदेव साम्राज्य उतार की और आ सकता है।
– आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री