हाइलाइट्स
यूनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप को कहते हैं, जिनका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से ज्यादा है.
यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या चार साल में पहली बार घटकर 67 रह गई है.
भारत में यूनिकॉर्न का दर्जा रखने वाली स्टार्टअप कंपनियों की संख्या भले ही घटी है.
मुंबई. स्टार्टअप इंडिया जैसे सफल अभियानों से देश में नए आइडियाज को फलने-फूलने का खूब मौका मिला है. पिछले साल तक तेज गति से बढ़ रहे सफल स्टार्टअप की संख्या में अब गिरावट दिख रही है. हुरुन ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया कि देश में यूनिकॉर्न की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है. यूनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप को कहते हैं, जिनका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर या उससे ज्यादा होता है.
‘हुरुन वैश्विक यूनिकॉर्न सूचकांक 2024’ के मुताबिक, देश में एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली ‘यूनिकॉर्न’ कंपनियों की संख्या चार साल में पहली बार घटकर 67 रह गई है. हालांकि, भारत में यूनिकॉर्न का दर्जा रखने वाली स्टार्टअप कंपनियों की संख्या भले ही घटी है, लेकिन देश ने दुनियाभर में यूनिकॉर्न का तीसरा बड़ा केंद्र होने का रुतबा बरकरार रखा है.
22 से 0 अरब डॉलर पर आ गई बायजू
रिपोर्ट कहती है कि शिक्षा-प्रौद्योगिकी फर्म बायजू अब यूनिकॉर्न के दर्जे से बाहर हो गई है. एक साल पहले बायजू का मूल्यांकन 22 अरब डॉलर से अधिक था, लेकिन वर्तमान में इसका मूल्यांकन भारी गिरावट के साथ एक अरब डॉलर से भी कम हो चुका है. हुरुन की रिपोर्ट कहती है कि बायजू के मूल्यांकन में आई इस बड़ी गिरावट ने उसे दुनिया के किसी भी स्टार्टअप के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट वाली फर्म बना दिया है. हुरुन रिपोर्ट के चेयरमैन एवं मुख्य शोधकर्ता रूपर्ट हुगेवर्फ ने कहा कि कुछ स्टार्टअप वास्तव में नाकाम हो जाते हैं और इस दौरान वे बड़े पैमाने पर मीडिया का ध्यान भी आकर्षित करते हैं. फिर भी ऐसी कंपनियां अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं.
स्विगी और ड्रीम11 सबसे मूल्यवान कंपनी
रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य आपूर्ति मंच स्विगी और फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम11 भारत के सबसे मूल्यवान यूनिकॉर्न हैं. इनकी कीमत आठ-आठ अरब डॉलर (प्रत्येक के करीब 70 हजार करोड़ रुपये) है. इनके बाद रेजरपे का स्थान आता है, जिसका मूल्य 7.5 अरब डॉलर है. हालांकि, भारत की दो अग्रणी यूनिकॉर्न कंपनियां वैश्विक स्तर की सूची में 83वें स्थान जबकि रेजरपे 94वें स्थान पर आती हैं.
देश के बाहर बन रहे यूनिकॉर्न
हुरुन इंडिया के मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा कि 1,453 यूनिकॉर्न की सूची में भारतीय कंपनियों की संख्या में कुल गिरावट शेयर सूचकांकों पर अच्छे लाभ के बावजूद स्टार्टअप क्षेत्र में निवेश की कमी को दर्शाता है. इसके अलावा देश के बाहर कंपनी शुरू करने की प्रवृत्ति ने भी भारत के लिए संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है. भारत के फर्म संस्थापकों ने देश के बाहर 109 यूनिकॉर्न शुरू किए, जबकि देश के भीतर उनकी संख्या 67 थी.
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FIRST PUBLISHED : April 10, 2024, 01:14 IST