हाइलाइट्स

साइलेंट वॉक सिर्फ एक ट्रेंड नहीं है बल्कि यह बेस्‍ट एक्‍सरसाइज है.
चुपचाप टहलने से शरीर को पंचमहाभूतों की शक्ति मिलती है.

Silent Walk Benefits: ये बात तो सभी जानते हैं कि रोजाना टहलना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद है. सेहतमंद रहने के लिए सभी को सुबह कम से कम 30 मिनट जरूर टहलना चाहिए लेकिन कुछ लोग टहलने के लिए दोस्‍तों या सहेलियों की टोली तलाशते हैं, अगर कोई साथी संगी नहीं मिलता तो कान में ईयरफोन या हेडफोन लगाकर गाने सुनते हुए वॉक करते हैं या फिर टहलने के समय को बेकार न जाने देने की बात सोचकर घरवालों या सगे संबंधियों से फोन पर बतियाते हुए वॉक करते हैं, लेकिन आपको बता दें कि यह टहलने का सही तरीका बिल्‍कुल भी नहीं है. जानकर हैरानी होगी कि पूरी मेहनत करने के बावजूद भी आपके शरीर को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है.

आपको बता दें कि हाल ही में टि‍कटॉक ट्रेंड से एक बार फिर चर्चा में आई साइलेंट वॉकिंग ही टहलने का सही तरीका है. स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो चुपचाप टहलना सेहत के लिए रामबाण है. योग में एकांत में चुपचाप टहलने को बेहतरीन व्‍यायाम और प्रकृति से जुड़ाव व ध्‍यान की एक पद्धति बताया गया है.

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देश के जाने माने योग एक्‍सपर्ट डॉ. बालमुकुंद शास्‍त्री बताते हैं कि टहलना एक पूर्ण व्‍यायाम है. कोशिश करनी चाहिए कि सुबह वॉक की जाए. इसकी वजह है सुबह अल्‍ट्रा वॉयलेट किरणें नहीं होतीं, ऑक्‍सीजन अच्‍छे से मिलती है और शरीर को हल्‍की धूप से विटामिन डी भी मिलता है. अगर सुबह नहीं टहल पाते हैं तो शाम को सूर्यास्‍त के बाद ही वॉक करनी चाहिए.

मेंटल और न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होते हैं ठीक 

अगर वॉक करने के तरीके की बात करें तो चुपचाप की जाने वाली वॉक से शरीर को वॉकिंग के सभी लाभ मिलते हैं. अगर आप बिना गपशप, हेडफोन, ईयरफोन या बातचीत के चुपचाप टहल रहे हैं तो इससे सबसे पहले तो आपका मन एकदम शांत रहता है. योग के अनुसार आपका प्राण आपके साथ होता है. आप वॉक को, अपने आप को महसूस कर रहे होते हैं, अपने बारे में सोच रहे होते हैं. इसके अलावा इससे सभी प्रकार के मानसिक रोग, मेंटल डिसऑर्डर या न्‍यूरोलॉजिकल डिजीज में बहुत सुधार देखने के लिए मिलता है.

शरीर में बढ़ती है एनर्जी 

डॉ. बालमुकुंद कहते हैं कि हमारा शरीर पंच महाभूत आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्‍वी से बना है लेकिन व्‍यस्‍त रहने के चक्‍कर में हम इन्‍हीं से दूर होते चले जा रहे हैं. जब हम एकांत में चल रहे होते हैं तो हमारी नजर आसपास मौजूद इन सभी पर जाती है, आसपास के पेड़-पौधों, मिट्टी, पानी को हम देख रहे होते हैं तो इनसे लगाव बनता है और इस तरह हम प्रकृति से जुड़ रहे होते हैं और इन्‍हें देखने से हमारे शरीर को पंचमहाभूतों के तत्‍व मिलने लगते हैं. जैसे सूरज को देखते हैं तो अग्नि तत्‍व मिलता है और शरीर ऊर्जा का पावरहाउस बनने लगता है.

दिल रहता है स्‍वस्‍थ

साइलेंट वॉकिंग से दिल को फायदा पहुंचता है. देखा गया है कि वॉक करते हुए बहुत सारे लोगों को हार्ट अटैक आया है लेकिन इनमें से सभी ऐसे हैं जो तेजी से या तो ट्रेडमिल पर दौड़ रहे थे या फिर हैवी एक्‍सरसाइज कर रहे थे. जब हार्ट पूरी तरह काम नहीं कर रहा था लेकिन उस पर प्रेशर दिए जा रहे थे. इससे हार्ट समझ नहीं पाता है कि धीरे चले या तेज चले और स्‍ट्रोक की संभावना बढ़ती है. लेकिन अगर धीरे और चुपचाप वॉक करते हैं तो हार्ट अच्‍छे से काम करता है. ब्‍लड प्रेशर हाई नहीं होता. ऑक्‍सीजन अच्‍छे से मिलने से फेफड़े स्‍वस्‍थ रहते हैं. दूषित वायु पूरी तरह से बाहर निकलती है. इससे वात, पित्‍त और कफ बढ़े हुए होते हैं तो कम होते हैं और शरीर स्‍वस्‍थ रहता है.

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