हाइलाइट्स

रत्न को उससे संबंधित दिन ही उतारना श्रेष्ठ रहता है.
रत्न को ग्रह के हिसाब से चुने रंग के कपड़े में ही रखें.

Ratna Utarne ke Niyam: ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति जीवन में आने वाली घटनाओं और विपदाओं का आकलन किया जाता है, इसके साथ ही आने वाली परेशानियों से बचाव के उपाय भी बताए जाते हैं. ज्योतिष में मनोकामानाओं को पूर्ण करने के लिए रत्न भी धारण कराए जाते हैं. माना जाता है कि व्यक्ति द्वारा अगर सही रत्न धारण किया जाता है तो उसके जीवन की सारी परेशानियां दूर होने लगती है, इसके साथ ही उसकी हर इच्छा भी पूरी होती है. बहुत से लोग अपनी मनोकामनाओं को लेकर रत्न धारण करते हैं. ऐसे में मनोकामना पूर्ण होने के बाद रत्न को पहने रहना चाहिए या उतार देना चाहिए? उतारना है तो किस तरह और उसकी विधि-विधान क्या है, इसे लेकर मन में काफी संशय बना रहता है.
आपने भी अगर रत्न धारण किया है और मनोकामना पूर्ण होने के बाद जानना चाहते हैं कि आगे क्या किया जाए तो इसे लेकर इंदौर निवासी ज्योतिषाचार्य पं. नवीन उपाध्याय बता रहें. पं. उपाध्याय के अनुसार रत्नों को विधिपूर्वक धारण करने के साथ ही उन्हें विधिपूर्वक उतारना भी जरूरी है. इसके साथ ही एक रत्न का अन्य लोगों द्वारा भी उपयोग किया जा सकता है अगर रत्न नियम पूर्वक उतारा गया हो और उसे सही विधि-विधान से धारण किया जाए.

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मनोकामना पूरी होने के बाद रत्न ऐसे उतारें
रत्न को धारण करने के साथ ही उसे उतारना भी विधिपूर्वक जरूरी होता है. ऐसा न करने पर रत्न का दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है. रत्न को हमेशा उससे संबंधित दिन के हिसाब से ही उतारा जाना चाहिए. जैसे माणिक को उतारना हो तो रविवार का दिन चुनें. रत्न उतारने के लिए सबसे अच्छा समय उस ग्रह का होरा काल होता है जिसको रत्न प्रभावित करता है. रत्न उतारने के पूर्व हमेशा नित्य कर्म संपन्न करना चाहिए. स्नान और पूजा पाठ के बाद ही रत्नों को उतारना चाहिए. एक बार रत्न उतार लिया जाए तो उसे पहले शुद्ध जल या गंगा जल से धोएं.
रत्न को धोने के बाद उसे रत्न से संबंधित रंग के कपड़े में लपेटकर ही रखना चाहिए. रत्न के लिए शुद्ध स्थान भी नियत करना चाहिए जिससे कि वह पूरी तरह से शुद्ध रहे. इसके लिए ईशान कोण में देवालय के पास या फिर देवालय की अलमारी में रख सकते हैं.

रत्न के हिसाब से कपड़े का करें चुनाव
रत्न को उतारने के बाद उसे सही रंग के कपड़े में लपेटकर शुद्ध स्थान पर रखना भी जरूरी है. पं. उपाध्याय के अनुसार सूर्य और मंगल से संबंधित रत्नों को हमेशा लाल कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए. चंद्र और शुक्र से संबंधित रत्नों को सफेद कपड़े में रखा जाता है. बुध का रत्न हो तो उसे हरे रंग के कपड़े में लपेटकर रखें. शनि, राहु या केतु से संबंधित रत्न होने पर उसे नीले या काले रंग के कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए. गुरु का रत्न होने पर उसे पीले रंग के कपड़े में रखना चाहिए. इसी हिसाब से रत्न को उतारने के दिन का भी चुनाव करना चाहिए.

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तिजोरी, अलमारी में न रखें रत्न
घर में सबसे सुरक्षित जगह आमतौर पर घर की अलमारी या तिजोरी को माना जाता है. हर कीमती चीज को उसी में संभालकर रखा जाता है. लेकिन रत्नों को रखने के मामले में ऐसा नहीं है. रत्नों को रखने के लिए शुद्ध स्थान का चयन जरूरी है, लेकिन अलमारी या तिजोरी को व्यक्ति कई बार अशुद्ध अवस्था में भी उपयोग करता है. ऐसे में रत्न भी अशुद्ध होता है. इसलिए रत्न को कभी भी अलमारी या तिजोरी में न रखें.

Tags: Astrology, Dharma Aastha

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