मुंबई. भारतीय महिला फुटबॉल टीम के कोच थॉमस डेनेरबी (Thoman Dennerby) ने टीम में कोरोना संक्रमण के मामलों के कारण एशियाई कप (AFC Women’s Asian Cup-2022) से बाहर होने के लिए एएफसी को दोषी ठहराया. डेनेरबी ने कहा कि उनके खिलाड़ियों को होटल स्टाफ से संक्रमण हुआ क्योंकि बायो बबल ‘फुलप्रूफ’ नहीं था. एशियाई फुटबॉल परिसंघ पर हमला बोलते हुए डेनेरबी ने कहा कि फीफा विश्व कप (FIFA World Cup)  में जगह बनाने का भारत का सपना खिलाड़ियों की गलती से नहीं टूटा बल्कि एएफसी द्वारा बनाए कमजोर बायो बबल के कारण ऐसा हुआ.

कोच डेनेरबी कहा कि एएफसी ने इतने बड़े टूर्नामेंट में असाधारण हालात से निपटने के लिए टीम के प्रति कोई सम्मान, सहानुभूति या दया नहीं दिखाई. उन्होंने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम सभी होटल पहुंचने के बाद कोरोना जांच में नेगेटिव थे. पहला पॉजिटिव मामला तब आया जब हम अभ्यास के लिए होटल से बाहर निकले थे. उसके एक दिन बाद होटल के 7 कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए. यह पता करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि हमें संक्रमण कहां से मिला.’

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उन्होंने कहा, ‘होटल स्टाफ की जांच 17 जनवरी को की गई और 7 पॉजिटिव नतीजों का पता 18 जनवरी को चला लेकिन सूचना 19 जनवरी को दी गई. एएफसी पूरे एक दिन क्या कर रहा था.’ डे नेरबी ने कहा, ‘होटल स्टाफ की जांच हर छह दिन में कराई गई, हर 3 दिन में नहीं. पता नहीं कि ऐसा क्यों.’

भारत को रविवार को एएफसी महिला एशियाई कप से पीछे हटना पड़ा क्योंकि टीम में दर्जन भर संक्रमण के मामले आने के कारण चीनी ताइपै के खिलाफ मैच रद्द करना पड़ा था. एएफसी ने टूर्नामेंट नियमों की धारा 4.1 का हवाला देकर कहा था कि एक मैच के लिए पूरी टीम नहीं जुटा पाने की स्थिति में माना जाएगा कि टूर्नामेंट से नाम वापिस ले लिया गया है.

डेनेरबी ने कहा कि एएफसी को चाहिये था कि संक्रमित होटल स्टाफ को तुरंत बाहर कराए और खिलाड़ियों से किसी तरह का संपर्क नहीं रखने के लिए कहे. उन्होंने कहा, ‘पता नहीं एएफसी ने तुरंत कार्रवाई क्यो नहीं की. होटल के कई कर्मचारी संक्रमित थे लेकिन एएफसी एक दिन इंतजार करता रहा. हम एएफसी के टूर्नामेंट आयोजन के तरीके से खुश नहीं हैं. इससे हमारा सपना टूट गया.’

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