Formula-1 Race: आपने अक्सर सड़कों पर कई लोगों को तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते देखा होगा. हालांकि, सार्वजनिक सड़कों पर तय सीमा से तेज गति पर गाड़ी चलाना बेहद खतरनाक और गैर-कानूनी होता है. आपने शायद फॉर्मूला-1 (F1) का नाम सुना होगा. यह एक गाड़ियों की रेस की प्रतियोगिता होती. इसमें प्रतिभागी तेज रफ्तार पर गाड़ियों को दौड़ते हैं और सबसे जल्दी रेस पूरा करने वाला ड्राइवर विजयी होता है.
हालांकि, इसमें इस्तेमाल होने वाली गाड़ियां आम गाड़ियों से अलग होती हैं और इनको चलाने वाले ड्राइवर भी उच्च कौशल के प्रशिक्षित खिलाड़ी होते हैं. आइए आज इसी रेस के बारे में जानते हैं.
क्या है F1?
फार्मूला-1 रेस को हम F1 के नाम से भी जानते है. यह दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल रेस प्रतियोगिता होती है और इसका आयोजन फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल (FIA) ऑटोमोबाइल नाम की संस्था कराती है. FIA की स्थापना सन 1904 में की गई थी. इस प्रतियोगिता को फार्मूला वन वर्ल्ड चैंपियनशिप कहा जाता है. इसके नाम मे लगा “फार्मूला” शब्द नियमों के एक सेट को कहा जाता है. F1 रेस की एक श्रृंखला होती है जिसे ग्रैंड्स प्रिक्स के नाम से भी जाना जाता है. इसका आयोजन कुछ चुनिंदा स्थलों पर होता है. खासकर पूर्व सार्वजानिक सड़कों और शहर की बंद सड़कों पर होता है.
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अंकों का है सारा खेल
इसमें दो वार्षिक वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स का आयोजन करने के लिए प्रत्येक रेस के परिणामों को संयुक्त किया जाता है. इनमें से से एक चैम्पियनशिप ड्राइवर्स के लिए होती है और एक अयोजनकों के लिए होती है. फ़ॉर्मूला वन श्रृंखला की शुरुआत यूरोपियन ग्रैंड प्रिक्स मोटर रेसिंग से 1920 और 1930 के दशक के में हुई थी. फॉर्मूला वन रेस में भी सारा खेल अंकों का ही होता है.
इस तरह मिलते हैं अंक
इस दौड़ में शीर्ष दस ड्राइवरों को उनके स्थान के हिसाब से अंक मिलते हैं. अंक प्रदान करने के लिए भी नियम निर्धारित हैं. इसमें विजेता खिलाड़ी को 25 अंक दिए जाए हैं, दूसरे स्थान पर रहने वाले को 18, तीसरे स्थान वाले को 15, चौथे को 12 अंक, पाचवें को 10 अंक, छठे को 8 अंक, सातवें को 6 अंक, आठवें को 4 अंक, नौवें को 2 और दसवें को 1 अंक मिलता है.
रेस के कुछ जरूरी नियम
इस रेस में हर टीम के दो ड्राइवर रेस में होते हैं, लिहाज़ा दोनों के अंकों का योग टीम को मिलने वाले अंकों में जुड़ते हैं. खिलाडियों में उनके मिले अंकों के योग के आधार पर विजेता का चयन होता है. फार्मूला वन ग्रैंड प्रिक्स का एक कार्यक्रम लगभग एक सप्ताह तक चलता है. एक दिन में दो मुक्त अभ्यास सत्र होते हैं और दूसरा दिन एक मुक्त अभ्यास सत्र से शुरू होता है. इसमें एक टीम के लिए केवल दो कारों का इस्तेमाल किया जा सकता है. अंतिम मुक्त अभ्यास सत्र के बाद एक क्वालिफाइंग रेस होती है.
मुख्य रेस
मुख्य रेस की शुरुआत एक वर्म-अप लैप के साथ होती है. इसके बाद सभी कारें अपनी-अपनी क्वालीफाई पोजीशन के आरंभिक ग्रिड के अनुसार मुख्य रेस के लिए इक्ट्ठा होती हैं. सामान्य परिस्थितियों के तहत इस रेस में वही ड्राइवर जीतता है जो तय किए गए चक्करों की संख्या को पूरा करने के बाद समाप्ति रेखा को सबसे पहले पार करता है. इस पूरी रेस के दौरान ड्राइवर गाड़ी के टायरों को बदलने और उसमें हुए किसी नुकसान की मरम्मत करवाने के लिए पिट स्टॉप ले सकते हैं.
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