<p>इंसानों के लिए आने वाला समय काफी कठिन रहने वाला है. कोरोना के बाद अब जलवायु परिवर्तन ऐसी तबाही लाने वाला है कि एक दो नहीं बल्कि एक अरब लोग इसकी बलि चढ़ने वाले हैं. सबसे बड़ी बात कि ये एक अरब लोग पृथ्वी के सिर्फ किसी एक हिस्से से नहीं होंगे, बल्कि पूरी दुनिया से लोग इस मौत की तबाही में शामिल होंगे. चलिए आपको बताते हैं कि वैज्ञानिकों ने इसे लेकर क्या कहा है.</p>
<h3>क्या कहा है वैज्ञानिकों ने?</h3>
<p>यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओन्टारियो ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर एक रिसर्च की है. इस रिसर्च में उन्होंने बताया है कि कैसे आने वाले समय में बढ़ता तापमान इंसानों के लिए मौत का सामान बनेगा. इस रिसर्च के प्रमुख जोशुआ पियर्स का कहना है कि आने वाली पीढ़ी के लिए ये आंकड़े डराने वाले हैं. हालांकि, उन्होंने एक अरब लोगों की मौत वाले आंकड़े पर कहा कि शायद इतने लोगों की मौत ना हो, लेकिन इसके आसपास के आंकड़े तक इंसानों की तबाही जरूर पहुंच जाएगी.</p>
<h3>इंसान बचने के लिए क्या करें?</h3>
<p>इंसानों को इस तबाही से बचने के लिए सबसे पहले जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन को सीरियसली लेना होगा. दुनिया भर के वैज्ञानिक सरकारों, संस्थानों और अपने नागरिकों से गुहार लगा रहे हैं कि वो किसी भी तरह से कार्बन उत्सर्जन पर तुरंत लगाम लगाए. वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह से हर साल पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, आने वाले साल में ये दुनिया आग की भट्टी बन जाएगी.</p>
<p>वहीं वैज्ञानिक इस पर भी जोर दे रहे हैं कि इंसानों को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बंद कर दें. दरअसल, जीवाश्म ईंधन क्लाइमेट चेंज के लिए कुछ सबसे बड़े जिम्मेदार कारणों में से एक है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर सरकारें कार्बन वेस्ट मैनेजमेंट और कार्बनडाइऑक्साइड को प्राकृतिक तौर पर पकाने वाले भंडारण के लिए कोई तकनीक विकसित कर ले तो ये क्लाइमेट चेंज के लिए बेहतर होगा.</p>
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