ओपी तिवारी/नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ए राजा की कथित बेनामी कंपनी के नाम खरीदी गई 45 एकड़ जमीन मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जब्त की है. ए राजा साल 2004 से साल 2007 के बीच केंद्रीय मंत्री थे. यह जमीन कोयंबटूर जिले में बताएं गई है. आरोप है कि अपने मंत्री पद पर रहने के दौरान ए राजा ने तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर कुछ रियल स्टेट कंपनी को पर्यावरण संबंधी क्लीयरेंस दी थी. ईडी ने पीएमएलए के तहत तमिलनाडु के कोयंबटूर में 55 करोड़ रुपये मूल्य की भूमि कुर्क की, एजेंसी ने इसे द्रमुक सांसद ए. राजा की ‘बेनामी’ संपत्ति बताया है.
इनमें से एक रियल स्टेट कंपनी देश की बड़ी कंपनियों में बताई जाती है. प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि जांच के दौरान पता चला कि इस अनुमति के बदले तत्कालीन मंत्री ए राजा को किकबैक दिया गया था. ईडी का दावा है कि किकबैक में मिलने वाले पैसे को ए राजा ने बेनामी कंपनी में लगाया था. यह कंपनी साल 2007 में उनके पारिवारिक सदस्यों और नजदीकी मित्रों के परिजनों के नाम पर बनाई गई थी. ईडी के मुताबिक 45 एकड़ की यह जमीन तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में है और इसकी कीमत लगभग 55 करोड़ रुपए बताई जाती है.
आरोप है कि कि कि किकबैक के पैसे को इस बेनामी कंपनी में लगाकर यह जमीन खरीदी गई थी. Swarajyamag.com की रिपोर्ट के मुताबिक प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) अधिनियम के तहत अपनी जांच के दौरान, ईडी ने स्थापित किया कि ए. राजा ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री (2004 से 2007) के अपने कार्यकाल के दौरान गुरुग्राम की एक रियल एस्टेट कंपनी को पर्यावरणीय मंजूरी दी थी. जबकि ईडी ने अपने बयान में कंपनी का नाम लिया था जांच के करीबी सूत्रों के मुताबिक लेनदेन डीएलएफ से संबंधित है.
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2022, 19:31 IST