भारत में ड्रोन से डिलीवरी करना काफी चर्चाओं में है. भारत सरकार द्वारा इसके लिए कुछ नियम भी बना लिए गए हैं. हालांकि 2013 में ही अमेजॉन के चेयरमैन जेफ बेजोस को ये अनुमान था कि 2018 तक ड्रोन से बड़े पैमाने पर डिलीवरी संभव हो पाएगी, जो 2024 में अब तक नहीं हो पाया है. आखिर क्यों चलिए जानते हैं.
अब तक क्यों नहीं हो पाई ड्रोन्स केे जरिए डिलीवरी?
बता दें पिछले काफी समय से ड्रोन्स से डिलीवरी करने का प्लान किया जा रहा है. हालांकि यूएस में जुलाई 2016 को पहली ड्रोन डिलीवरी की भी गई. इस ड्रोन डिलीवरी के जरिए पहली बार चिकन सैंडविच एक जगह से दूूसरी जगह पहुंचाया गया था. जिसके बाद से कई लोगों को लगने लगा था कि अब ड्रोन डिलीवरी काफी आम हो जाएगी और इसके जरिए सड़क को भी काफी हद तक फ्री किया जा सकेगा.
साथ ही ये भी दावे किए गए थे कि ड्रोन्स इकोफ्रैंडली होंगे. इनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पंहुचेगा, लेकिन वो 2024 तक ये संभव नहीं हो पाई है, जिसकी वजह कुछ डर थे. जैसे ड्रोन्स पर लोगों की अविश्वनीयता, इसका जटिल होना, इसका महंगा होना और कई जगहों पर इसका इस्तेमाल वर्जित होने जैसी चीजें शामिल थीं.
चिकन की डिलीवरी करने गए ड्रोन से हुआ हादसा
हाल ही में गुरुग्राम में चिकन की डिलीवरी करने गए ड्रोन के गिरने का एक मामला सामने आया है. जिसमें 30 किलो वजनी एक ड्रोन चिकन की डिलीवरी करने जा रहा था जिसके गिरने के बाद उस जगह पर गढ्डा हो गया. यही वो डर थे जिसके चलते अबतक ड्रोन्स से डिलीवरी संभव नहीं हो पाई थी.
10 साल पहले आया था आइडिया
ड्रोन्स से डिलीवरी का आइडिया आज से लगभग 10 साल पहले अमेजॉन कंपनी के चेयरमैन जेफ बेजोस ने दिया था. हालांकि ड्रोन्स से डिलीवरी के लिए अब सेफ्टी जैसे इश्यू बड़े हो गए हैं. गुरुग्राम में हुआ हादसा इसका एक उदाहरण है. वहीं ड्रोन्स से डिलीवरी के कई फायदे भी हैं. यही वजह है कि भारत में ड्रोन्स से डिलीवरी को मंजूरी दी गई है.
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