गत दिनों मेरठ मेडिकल कॉलेज की बड़ी चूक सामने आई है जिसमें शव बदले जाने पर परिजनों ने जमकर हंगामा काटा बताते चलें हरमुख पुरी निवासी गुरु वचन 2 दिन पूर्व कार्डियक अरेस्ट (लकवा ) के चलते परिजनों द्वारा जीवन हॉस्पिटल मोदीनगर लेकर गए जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें सुभारती अस्पताल मेरठ के लिए रेफर कर दिया मेरठ में ट्रीटमेंट देने से पहले इनका कोरोना टेस्ट किया गया जिसमें इनकी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है और आनन-फानन में इनको मेरठ मेडिकल रेफर कर दिया गया जहां पर 5 सितंबर की शाम को 6:00 बजे परिजनों को सूचना दी की यह सुबह डेड बॉडी 6:00 बजे पहुंचे इनका देहांत हो गया और 6 सितंबर की सुबह जब परिजन अस्पताल अपने डेड बॉडी लेने पहुंचे तो इनको डेड बॉडी की कोरोना से मृत्यु हो गई थी जिसका उपचार मेरठ में स्थित मेडिकल कॉलेज में पिछले कई दिनों से चल रहा था उपचार उपरांत
गुरु वचन की मृत्यु हो गई चुकी मृत्यु कोरोना के चलते होती थी तो मेडिकल कॉलेज स्टाफ ने इस बात को धायण में रखते हुए शव को बेग में पैक पैक कर इसकी सूचना परिजनों को दी जब परिजन गुरु वचन का शव लेने मेडिकल पहुंचे तो मेरठ मेडिकल कॉलेज वालों ने शव को पूर्ण तरा ह पैक करके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गुरु वचन हिन्दू था तो शव का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया जाना तय था। गुरु वचन के लड़कों द्वारा मृतक गुरु वचन को मुखाग्नि देने का कार्य आरंभ हुआ जब सब के पैकेट को खोला गया तो उसमें गुरुवचन के शव की बजाय और किसी का शव पाया। जिससे मृतक गुरु वचन के परिजन हक्के बक्के रह गए परिजनों ने इस बात की सूचना मेडिकल कॉलेज को दी लेकिन अपनी गलती मानने के बजाय मेडिकल स्टाफ उल्टे ही परिजनों को दोष देने लगे कि आप ने शव का पैकेट क्यों खोला मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ज्ञानेंद्र से भी बात की गई तो उन्होंने भी अपनी गलती मानते हुए जांच करने का आश्वासन दिया

जिलाधिकारी अनिल ढींगरा

शव बदले जाने की बात जब जब जिलाधिकारी अनिल ढींगरा को पता चली तो जिलाधिकारी द्वारा जांच के एडीएम सिटी एव सीएमओ की देखरेख में एक टीम गठित की गयी एव दोषियो की खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की बात सामने आय।

जांच का निष्कर्ष

जिलाधिकारी द्वारा बनाई गयी जांच कमेटी जिसमे एडीएम सिटी एव सीएमओ शामिल थे फेल होती नजर आयी जहाँ मेरठ मेडिकल में 2 कोरोना शव बदल गए थ। जहाँ पर मृतक गुरुवचन के परिजनों को अपने पिता को मुखाग्नि देना भी नसीब नहीं हुआ वही दूसरी और जिलाधिकारी द्वारा बानी गयी जांच कमेटी ने ऊपरी कागजी कार्यवाही करते हुए बड़े अधिकारियो की कुर्सी को बचाया और सारा गलती का ठीकरा मेडिकल कर्मियों पर फोड़ दिया कमेटी द्वारा कार्यवाही करते हुए मेडिकल के 6 स्टाफ नर्स 6 वार्ड ब्वॉय को हटाया गया वही दूसरी और लापरवाह डाक्टरों जिनकी देख रेख में सारा काम होता हे उन उच्च अधिकारियो को केवल चेतावनी देकर छोड़ा गया

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