Home AROND US गाजियाबाद : इलेक्ट्रिक बस डिपो बनाने का काम दिसंबर से होगा शुरू, टेंडर जारी

गाजियाबाद : इलेक्ट्रिक बस डिपो बनाने का काम दिसंबर से होगा शुरू, टेंडर जारी

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गाजियाबाद : शहर में अप्रैल 2021 तक इलेक्ट्रिक बसें दौड़नी शुरू हो जाएंगी। इन बसों को दौड़ाने से पहले दिसंबर के पहले सप्ताह से अकबरपुर-बहरामपुर में बसों का डिपो और मेंटेनेंस शेड बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए कार्यदायी संस्था जल निगम की सीएंडडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज) ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी महीने यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने के लिए शासन ने नगर निगम को नोडल एजेंसी नामित किया है। नगर निगम के अधिकारियों ने सीएंडडीएस के माध्यम से डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कराई है। शासन ने 14.26 करोड़ की डीपीआर को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद अब सीएंडडीएस ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर इलेक्ट्रिक बसों के लिए डिपो, चार्जिंग स्टेशन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। सीएंडडीएस करीब चार करोड़ रुपये खर्च कर सिविल वर्क पूरा करेगा। सीएंडडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर उमेश शुक्ला ने बताया कि अकबरपुर-बहरामपुर में नगर नगम की ओर से डिपो और चार्जिंग स्टेशन के लिए जमीन मिल चुकी है। इस पर चार्जिंग शेड, वर्कशॉप शेड और स्टाफ के लिए रूम बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। नवंबर माह में ही टेंडर खुल जाएंगी और दिसंबर के पहले सप्ताह में वर्क ऑर्डर जारी कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। यह निर्माण पूरा करने के लिए करीब 4.5 माह का समय दिया जाएगा। हालांकि निर्धारित समय से पहले ही काम पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। मार्च अंत तक डिपो बनकर तैयार हो जाएगा।
अप्रैल से दौड़ने लगेंगी बसें
निगम अधिकारियों ने अप्रैल तक शहर में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू होने की उम्मीद जताई है। अधिकारियों का कहना है कि बसों के संचालन के लिए प्रदेश स्तर पर ऑपरेटर्स भी तय हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले चरण में गाजियाबाद में 50 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू होगा। इसके लिए रूट भी तय हो चुके हैं।
समय पर शुरू होता संचालन तो प्रदूषण से मिल जाती निजात
गाजियाबाद में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू करने के लिए पूर्व में अक्तूबर 2020 का समय तय किया गया था। कोरोना संक्रमण काल और जमीन तलाशने में हुई देरी की वजह से यह प्रोजेक्ट भी लेट हो गया है। अक्तूबर में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू हो जाता तो प्रदूषण की समस्या से भी काफी हद तक राहत मिल जाती। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर फिलहाल सीएनजी ऑटो, टेंपों और डीजल बसें संचालित हो रही हैं। सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट की बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से लोग अपने वाहनों का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।

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