गाजियाबाद के नंदग्राम में उत्तर प्रदेश का पहला डिटेंशन सेंटर बनकर तैयार हो गया है। पिछले एक साल से इसमें काम चल रहा था। इसमें यूपी में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को रखा जाएगा। अक्टूबर में इसका उद्घाटन हो सकता है। बिजली, पानी, पंखे और शौचालय की सुविधाडिटेंशन सेंटर की दीवारों पर काफी ऊंचाई तक तारबंदी कर दी गई है। इमारत की रंगाई-पुताई व मरम्मत का कार्य पूरा हो गया है। इसमें तीन बड़े हॉल हैं। इसमें 100 विदेशियों को रखा जा सकता है। सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है।

नंदग्राम में दलित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो आंबेडकर छात्रावास बनाए गए थे। दोनों छात्रावास की क्षमता 408 छात्र-छात्राओं की है। इसका उद्घाटन 15 जनवरी 2011 को हुआ था। पिछले कई साल से छात्राओं वाला छात्रावास बंद है। देखरेख नहीं होने के कारण इसकी इमारत जर्जर हो चुकी थी। छात्राओं वाले छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार से बजट जारी हुआ था।

अवैध अप्रवासियों (दूसरे देश से आए नागरिक) को रखने के लिए एक तरह की जेल बनाई जाती है, जिसे डिटेंशन सेंटर कहते हैं। द फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करने वाले विदेशी नागरिकों को तब तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है, जब तक कि उनका प्रत्यर्पण न हो जाए।

देश में फिलहाल 11 डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं। इनमें से छह डिटेंशन सेंटर असम में हैं। अन्य सेंटर दिल्ली, म्हापसा (गोवा), अलवर जेल (राजस्थान) और अमृतसर जेल (पंजाब) और बेंगलुरु के पास सोंडेकोप्पा(कर्नाटक) में हैं। पिछले साल नवंबर तक इसमें अवैध रूप से देश मे रह रहे 1043 अवैध अप्रवासियों को रखा गया था। असम की जेलों को डिटेंशन सेंटर बनाने का फैसला 2009 में कांग्रेस सरकार ने लिया था। 2012 में असम के गोवालपारा, कोकराझार और सिलचर की जेलों के अंदर डिटेंशन सेंटर बनाया गया था। बाद में जोरहाट तेजपुर और डिब्रूगढ़ की जेलों में भी डिटेंशन सेंटर बनाए गए। देश का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर गोवालपारा के मातिया में बनाया जा रहा है पंजाब और महाराष्ट्र में एक-एक, बंगाल में दो सेंटर बनाने का काम चल रहा है।

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