<p>शिक्षा पूरी दुनिया में महंगी हो रही है. छोटे शहरों के स्कूलों में भी छात्रों के पेरेंट्स से मोटी फीस वसूली जाती है. लेकिन यह फीस इतनी ज्यादा नहीं होती, जितनी भारत के इन चुनिंदा स्कूलों में लगती है. इन स्कूलों में 1 साल की इतनी फीस लगती है कि उतने में आप एक बढ़िया सी कार खरीद लें. आज हम आपको भारत के टॉप 3 स्कूलों के बारे में बताएंगे, जहां पढ़ने वाले छात्रों को सालाना लाखों में फीस चुकानी होती है. इन स्कूलों में आम घरों के बच्चे नहीं पढ़ते. भारत के कुछ रईस परिवारों के बच्चे ही इन स्कूलों में पढ़ाई करते हैं और विदेशी छात्र भी यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं. तमाम सुख-सुविधाओं से लैस ये स्कूल किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं लगते… तो चलिए जानते हैं कौन से हैं यह टॉप 3 स्कूल.</p>
<p><strong>पहले नंबर पर द सिंधिया स्कूल</strong></p>
<p>द सिंधिया स्कूल मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है. यह स्कूल ग्वालियर के किले पर लगभग 110 एकड़ में बना है. इस स्कूल की स्थापना साल 1997 में ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया ने की थी. इसे देश के सबसे महंगे स्कूलों में से एक माना जाता है. इस स्कूल में कक्षा पांचवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई होती है और लगभग 12 लाख रुपए सालाना फीस छात्रों से लिया जाता है.</p>
<p><strong>दूसरे नंबर पर द दून स्कूल</strong></p>
<p>द दून स्कूल देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है. यह स्कूल खूबसूरत पहाड़ों से घिरा है. इस स्कूल की स्थापना साल 1929 में हुई थी. भारत के कई अमीर बिजनेसमैन और पॉलिटिकल घरानों के बच्चों ने इस स्कूल में पढ़ाई की है. यहां लगने वाली सालाना फीस की बात करें तो यह 9 से 10 लाख रुपए के करीब है. इसके साथ ही अगर आप द दून स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन कराना चाहते हैं तो आपको 3 लाख 50 हजार का सिक्योरिटी डिपाजिट भी जमा करना पड़ेगा.</p>
<p><strong>तीसरे नंबर पर है वेल्हम बॉयज स्कूल</strong></p>
<p>वेल्हम बॉयज स्कूल भी उत्तराखंड में स्थित है. यह स्कूल करीब 30 एकड़ में बना है. इस स्कूल में हिंदुस्तान के कई बड़े पॉलिटिकल लीडरों ने पढ़ाई की है. इनमें संजय गांधी, मणिशंकर अय्यर, नवीन पटनायक और अमरिंदर सिंह जैसे नेता शामिल हैं. इस स्कूल की स्थापना साल 1937 में हुई थी. यहां लगने वाली फीस की बात करें तो इस स्कूल में सालाना 5 लाख से 6 लाख के करीब छात्रों से फीस ली जाती है. इसके साथ ही ट्यूशन और अन्य सुविधाओं के लिए छात्रों से सालाना 1 लाख रुपए अलग से वसूला जाता है.</p>
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