मोदीनगर के अखाड़ा सूरजमल गांव रोरी में दशहरे पर्व पर शस्त्र पूजन कार्यक्रम का आयोजन वैदिक रीति रिवाज के साथ मंत्र उच्चारण से किया गया।यज्ञ उपरांत शस्त्रों का फूल मालाओं से श्रंगार एव रोली हल्दी से तिलक कर सजाया गया।बाबा परमेन्द्र आर्य ने लोगो को संबोधित करते हुए कहा वीरों और वीरांगनाओं का सबसे बड़ा पर्व शस्त्र पूजन ही होता है।9 दिनों की शक्ति उपासना के बाद 10वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की कामना के साथ परम पिता परमेश्वर का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन किया जाता है।उन्होने कहा विजयादशमी के शुभ अवसर पर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा अवश्य की जानी चाहिए।वही मुख्य अतिथि यति मां चेतनानन्द सरस्वती ने प्रवचन मे कहा आज के दिन शक्तिरूपा दुर्गा,काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है।शस्त्र पूजन की परंपरा का आयोजन रियासतों में आज भी बहुत धूमधाम के साथ होता है। राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन देवी हरसिद्धि की आराधना की थी।युवाओ ने तलवार बाजी व लाठी चलाने का उत्तम प्रदर्शन करने कर लोगो का मन मोह लिया।साथ ही युवाओं व समाज मे श्रेष्ठ कार्य करने वालो को सम्मान प्रतीक भेंट कर समानित किया गया।इस अवसर पर आन्नदपुरी महाराज,रामानंद महाराजा खिंदोडा,राणा रामनारायण आर्य,सुनिल शास्त्री, विक्रांत आर्य,सुखवीर भगत जी,उषा चौधरी,सुमन चौधरी, चौधरण अंजली आर्या,नीरज कोशिक,परवीन गुप्ता आदि उपस्थित रहें।