सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के धान अनुसंधान केंद्र नगीना में बासमती धान की नई प्रजाति नगीना वल्लभ बासमती-1 विकसित की गई है। उत्तर प्रदेश राज्य बीज उप समिति की 33वीं बैठक में इसका अनुमोदन कर दिया गया है। यह बासमती धान की प्रचलित प्रजातियों पूसा वन से 39 प्रतिशत और तरावडी से 123 प्रतिशत अधिक पैदावार देगी। साथ ही सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता भी कम होगी। कृषि विवि के कुलपति डॉ. आरके मित्तल ने बताया कि विवि के अनुसंधान केंद्र नगीना में यह प्रजाति विकसित की गई है। वर्तमान में किसानों के बीच लोकप्रिय अन्य बासमती की प्रजाति पूसा बासमती-1 और तरावड़ी बासमती की तुलना में अधिक आसान एवं कम उत्पादन लागत होने के कारण काफी बेहतर है।
इस प्रजाति को शीघ्र ही नोटिफिकेशन के लिए भेजा जाएगा। इसमें अन्य प्रजातियों के मुकाबले दो से तीन सिंचाई कम देनी होगी, नई किस्म मजबूत तने के साथ मध्यम ऊंचाई 100 से 105 सेमी की है। जिससे फसल के गिरने की संभावना कम होने के कारण उपज की गुणवत्ता भी बनी रहती है। किसानों को अगले साल से बीज मिलने लगेगा। इस तरह तैयार हुई नई प्रजाति कुलपति ने बताया कि इसे पूसा सुगंध-5 एवं उन्नत पूसा बासमती-1 से विकसित किया गया है। जो रोगों एवं कीटों के लिए मध्यम अवरोधी है। इसमें गर्दन तोड़ रोग नहीं लगेगा। चावल पतले, लंबे, मुलायम एवं खुशबूदार होने के साथ ही इसकी कुकिंग क्वालिटी भी पूसा बासमती-1 से अच्छी है। इन वैज्ञानिकों ने की मेहनत बिजनौर के नगीना स्थित अनुसंधान केंद्र पर नई प्रजाति विकसित करने में डॉ. अनिल सिरोही, डॉ. राजेंद्र मलिक, डॉ. विवेक यादव, डॉ. डीएन मिश्रा, डॉ. पूरन चंद्र, डॉ. मुकेश आदि का योगदान रहा।