गोंडा : सुहागिन महिलाएं अपने पति के लम्बे उम्र की कामना करते हुए रखतीं हैं व्रत।सोनी यादव ने अपने पति के लम्बे उम्र की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत रखा। ऐ त्योहार गंगा जमुनी तहजीब भाईचारा और आपसी सौहार्द का अद्भुत मिसाल है वहीं गोंडा मसकनवां में जहां 70 वर्षीय मुस्लिम महिला जाहरून के बनाये हुये मटके से हिन्दू महिलाएं पति के दीर्घायु के लिए करवा चौथ का चौथ व्रत कर पूजन अर्चन करती है। यह आपसी भाईचारा और साम्प्रदायिक का बेजोड़ नमूना है। हिन्दू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है। हिन्दू महिलायें अपने सुहाग पति के लम्बी उम्र के लिए यह व्रत बड़े ही उल्लास के साथ रखती है।
अपने पति के दीर्घायु के लिए हिन्दू महिलायें जिस मटके का बडे ही अकीदत के साथ पूजन पूजन करती हैं, वह मटका जाहरून, शहजादी, नाजमीन और इरफान का परिवार बड़ी ही मशक्कत के बाद बनाता है। कशघड़ परिवार के जाहरून ने बताया कि इस मटके को बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है।नहर के किनारे चिकनी कच्ची मिट्टी तालाब से लाकर उसे तैयार करना पड़ता है। फिर मिट्टी को चाक पर रख कर कच्चा घड़ा बनाया जाता है। उपले और लकड़ी से आग के आवे में धीरे धीरे पकाया जाता है। तब जा कर मटका अपने असली स्वरूप में आता है। फिर बाजार में बेचा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए पूरा परिवार को लगना पड़ता है। अब वह आमदनी भी नहीं होता है। पीढ़ी दर पीढ़ी से यह हुनर का धंधा चल रहा है।
महंगाई के कारण धंधा मंदा चल रहा है। लकड़ी और कंडे का दाम बढ़ जाने से मटके की लागत बढ जाती है। खरीददार उतना दाम नही देते हैं। तीस से पचास रूपये में एक मटके को बेचा जाता है।
जहारून के बेटे सलमान ने बताया कि मटका बनाने में काफी मेहनत और लागत आती है। सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिलती है। बाजार भी नही है। यदि सरकारी अनुदान और सहायता मिले तो इस मिट्टी के कला को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मसकनवा से कई जिलों के लोग मटका खरीदने आते हैं। जितना लागत लगता है। उतना मुनाफा नही मिलता है।
इस व्रत को पूर्ण करने के लिए सुहागिन महिलायें जाहारून के बनाये हुए मिट्टी से बने घड़े मटके में चूरा और मिठाई भर कर विधि विधान से पूजन करती है। पूजन में मटके का सबसे विशेष महत्व होता है।परम्परा के अनुसार मटके के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। यह मटका पति के लम्बी आयु के प्रतीक से जुड़े होने के कारण इसका स्थान सबसे उच्च माना जाता है। महिलायें दिन भर का कठिन निर्जला व्रत रखकर मटके की पूजा करती है।
पारम्परिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म की महिलायें अपने पति के दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रहती है। यह व्रत स्त्रियों का प्रमुख त्यौहार है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ रखती है। यह कार्तिक कृष्ण पक्ष के चतुर्थी को रखा जाता है। जमीन में एपन बना कर नये परिधान पहन कर पूरे श्रृंगार के साथ पूजा करती है। अपने पति के दीर्घायु की कामना करती है। स्त्रियाँ रात्रि को चन्द्र दर्शन के पश्चात अध्यर्य देकर जल ग्रहण करती हैं।इस व्रत के रखने से सिद्ध विनायक गजानन गणेश सारे विध्नों का नाश करते है।माता पार्वती, द्रौपदी और वीरवती ने भी यह व्रत रख कर अपने पति के दीर्घायु की कामना की थी।
श्याम बाबू कमल गोंडा