मोदीनगर। सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि वट सावित्री पूजन विधि-विधान से मनाया गया। गुरुवार को हुए व्रत पूजन में विवाहित महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए व्रत का पारण किया। संक्रमण के देखते हुए ज्यादातर महिलाओं ने घरों पर ही विधि-विधान से वट वृक्ष की डाल का पूजन कर परिक्रमा की। सार्वजनिक पूजन में शामिल महिलाओं ने मास्क व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए व्रत का पारण किया।
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बेहद खास माना जाता है। इस पुण्यकारी व्रत के लिए गुरुवार को भोर पहर से ही सुहागिन महिलाओं ने तैयारी शुरू कर दी। महिलाओं ने सूर्य ग्रहण से पहले विधि-विधान से पूजन किया। मोदीनगर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख रूप से होने वाले सार्वजनिक पूजन में सीमित महिलाओं ने शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए परिक्रमा की। घरों में हुए पूजन में वट वृक्ष की डाल को गमले में लगाकर सुहागिन महिलाओं के पूजन कर समस्त कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना की। व्रत का पारण करने वाली महिलाओं ने वट सावित्री व्रत कथा को सुनकर व्रत पूरा किया। मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है। इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाओं अखंड सौभाग्य के लिए पूजन करती हैं। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बेहद खास माना जाता है। इस पुण्यकारी व्रत के लिए गुरुवार को भोर पहर से ही सुहागिन महिलाओं ने तैयारी शुरू कर दी। महिलाओं ने सूर्य ग्रहण से पहले विधि-विधान से पूजन किया।
हरमुखपुरी गणेश मंदिर के प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य पं0 उदय चन्द्र झा के मुताबिक इस बार वट सावित्री अमावस्या पर शुक्र ग्रह की वृष राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, और राहु यह चारों ग्रह एक साथ विराजमान रह। वृष राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं, जो दांपत्य जीवन और सौंदर्यता के कारक माने जाते हैं। इन्हीं की राशि वृष में एक साथ चार ग्रहों का विराजमान होना किसी अद्भुत संयोग से कम नहीं है। दरअसल, चार ग्रह एक साथ में होना चतुर्ग्रही योग कहलाता है, और वृष राशि में चतुर्ग्रही योग का संयोग सुहागिन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह योग सुहागिन महिलाओं के कई कष्टों का निवारण भी करेगा और दांपत्य जीवन में मिठास भी खोलेगा। इसलिए इस बार पर्व का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है।

Disha Bhoomi

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