Disha Bhoomi
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Modinagar | इन दिनों निकाए चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे तमाम प्रत्याशी अब अदालत के आजा देजा लेजा तारीख के चक्कर में फंस गयें है। बताते चले कि अदालत की तारीख पर तारीख की कहावत तो अब पुरानी हो चुकी है, अब लोग अदालत का मतलब आजा देजा लेजा तारीख से ही लगाते है।
प्रदेश शासन द्वारा गतदिनों पूर्व आरक्षण ड्राफ्ट जारी किए जाने के बाद से ही निकाए चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की लंबी लाइन भाजपा सहित कई पार्टियों के कार्यलयों पर लगने लगी थी, लेकिन मामला उच्च न्यायालय में जाने के बाद से ही मेयर, अध्यक्ष, सभासद व पार्षद के पद के लिए चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की धड़कने भड़ने लगी और सबके चेहरों पर हवाईयों उड़ने लगी। हर कोई उच्च न्यायालय के आदेश के आने की प्रतीक्षा में लते नजर आने लगे इतना ही नहीं कई दावेदार तो पूरी तरह से शान्त हो गयें है और अब उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार कर रहें है। शासन द्वारा आरक्षण जारी होते ही नगर निकाय चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को अमली जमा पहनाना शुरू कर दिया था, हाईकमान ने प्रभारियों की नियुक्ति भी कर दी थी, पार्टी कार्यालयों पर आवेदनों का सिलसिला शुरू हो चुका था, भाजपा से चुनाव लड़ने वालों की लंबी लाइन थी, जिसके बाद भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल व मंडल प्रभारीयों को बड़ी जिम्मेदारी दी और दावेदारों को वहीं पर आवेदन करने के लिए निर्देश दिया गया था, हालांकि उसके बाद भी कई दावेदार जिलाध्यक्ष के कार्यालय पर अपना चेहरा दिखाने के लिए चक्कर काटने नजर आ रहें है, इतना ही नहीं बड़े नेताओं के कार्यालयों व घरों पर भी दस्तक दी जा रही है, लेकिन इस सबके बीच उच्च न्यायालय के निर्णय को लेकर सभी दावेदार परेशान है, उन्हें आरक्षण फिर से जारी होने की आस लग रही है। तो कुछ इसके निर्णय का आने का इंतजार कर रहंे है। वहीं सपा, बसपा व कांग्रेस से भी चुनाव लड़ने वाले उच्च न्यायालय के निर्णय पर टकटकी लगाएं हुए है। अब देखने वाली बात यह होगी आखिर कब तक दावेदार आजा देजा लेजा तारीख का इंतजार करेंगे और खामोशी से बैठे रहेंगे, वहीं कुछ दावेदारों को लग रहा है कि अब नगर निकाय चुनाव विलंब से होने के आसार है।
कयासों का दौर जारी
निकाए चुनाव आरक्षण का मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने के बाद राजनीति अपनी पूरी चरम सीमा पर है और चर्चाओं का दौर जारी है। कुछ राजनीतिज्ञों का मानना है कि अब चुनाव फरवरी में होंगे, तो कुछ कहते दिखाई दे रहें है कि चुनाव अप्रैल माह में ही होंगे, क्योकि 25 दिसंबर से न्यायालय में शीतकालीन अवकाश हो रहा है, तो वही एमएलसी चुनाव व बोर्ड की परीक्षा भी सिर पर है। लोग तरह तरह की बयान बाजी करते नजर आ रहें है। अब देखना है कि उच्च न्यायालय का निर्णय क्या होगा।

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