Disha Bhoomi
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NewDelhi भारत मे कोरोना वायरस की वजह से साल 2020 में लगे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को संक्रमण के मामलों में कमी की वजह से केंद्र सरकार ने 31 मार्च के बाद हटाने का फैसला किया है. यानी 2 साल बाद 31 मार्च से भारत मे कोरोना की वजह से लगाई गईं लगभग सभी कड़ी पाबंदियों को केंद्र सरकार ने हटाने का फैसला किया है. इसके बाद सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर मास्क और सामाजिक दूरी के नियम जारी रहेंगे।
कोरोना और उससे लगी पाबंदियों ने बीते 2 सालों में भारत समेत पूरे विश्व को बुरी तरह प्रभवित भी किया. कई देशों की जीडीपी तो कोरोना की वजह से ध्वस्त हुई ही कोरोना और पाबंदियों ने लोगों की नींद, चैन सब छीन लिया. इतना ही नहीं कोरोना से लगीं पाबंदियों ने लोगों को अहसास कराया कि वो अकेले हैं और चार दीवारी में बंद हैं. कोरोना महामारी और उसकी वजह से लगीं पाबंदियों ने लोगों को मोबाइल फोन का आदी बना दिया और स्क्रीन टाइम ने लोगों की नींद या तो कम कर दी या फिर नींद का समय खराब कर दिया है।

सर्वे में हुए चौंकाने वाले खुलासे
ब्रिटिश मार्केटिंग फर्म आईपॉस और लंदन स्थित किंग्स कॉलेज द्वारा ब्रिटेन में करवाए गए सर्वे में 31% लोगों ने शिकायत की कोविड और पाबंदियों की वजह से वो पहले से ज्यादा अकेलेपन का शिकार हो चुके हैं. सर्वे में अकेलेपन की शिकायत करने वाले लोगों में 57% लोगों ने बताया कि इस अकेलेपन की वजह से वो अवसाद यानी डिप्रेशन से पीड़ित हो गए हैं. आइपोस और किंग्स कॉलेज के सर्वे में एक और बड़ी बात सामने निकल आई है।

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