Disha Bhoomi
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Modinagar बंदरों के आतंक से शहर की जनता को राहत मिलने वाली नहीं है। नगर पालिका परिषद व वन विभाग ने बंदर पकड़ने से इंकार कर दिया। जबकि बंदर काटने के रोजाना दर्जनों लोग इंजेक्शन लगवाने अस्पताल पहुंच रहें हैं।
मोदीनगर की हरमुखपुरी, सुचेतापुरी, कृष्णा नगर, ऋषिभ बिहार,, तेल मिल गेट, दलीप पार्क, संतपुरा आदि कॉलोनियों के लोग बंदरों के आंतक से काफी परेशान हैं। कॉलोनियों के पार्कों में बंदर झुंड बनाकर रहते हैं। उनकी वजह से लोग पार्कों में टहल नहीं पाते। बच्चे पार्कों में खेलने जाते हैं तो बंदर उन्हें काटकर जख्मी कर देते हैं। बंदरों की दहशत के चलते कई कॉलोनियों के पार्कों में बच्चों और बुजुर्गों ने जाना बंद कर दिया। लोगों का कहना है कि बंदरों के कारण पार्कों में घूमने नहीं जा रहें हैं। नगर पालिका और प्रशासन से कई बार शिकायत की है, वहीं बंदरों के पकड़े जाने की मांग के बावजूद नगर पालिका और वन विभाग के अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहंे हैं। अधिकारियों को कहना है कि गत करीब दो वर्ष पूर्व नगर पालिका परिषद् द्वारा बंदर पकड़ों अभियान शुरू किया गया था, लेकिन भाजपा सांसद मेनका गांधी के हस्तक्षेप के बाद इस अभियान को बंद करना पड़ा। उनकी दहशत के चलते आज तक भी कोई अधिकारी बंदरों के पकड़ने के लिए अभियान छेड़ने की जेहमत तक नही उठा पाया है और यही कारण है कि नगर पालिका व वन विभाग के अधिकारियों ने बंदर पकड़ने से इंकार कर दिया। दिन प्रतिदिन बंदरों की संख्या बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी गुहार लगा रहे लोग
लोग बंदरों के आतंक से राहत पाने के लिए विभाग के साथ-साथ आईजीआरएस और मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत कर गुहार लगा रहें हैं। रानी लक्ष्मीबाई फॉउंडेशन की अध्यक्ष कुसुम सोनी सहित अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत करते रहते है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही हैं।
बंदर के काटे जाने पर अस्पतालों में रोजाना आ रहे इंजेक्शन लगवाने लोग
बंदरों के काटे जाने के कारण दर्जनों लोग, बच्चें, बुजुर्ग पव महिलाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व नीजी अस्पताल पहुंच रहे हैं। हालांकि सरकारी अस्पताल में सभी को एक साथ इंजेक्शन नहीं लग पाते। ऐसे में घायल को कई बार वापस करना पड़ जाता है। इस संबन्ध में वन विभाग के अधिकारी कहते है कि बंदर पकड़ने का काम वन विभाग का नहीं है, नगर पालिका को ही बंदर पकड़ने चाहिए। बंदर पकड़ने की अनुमति नगर पालिका को दी जातरी है। नगर पालिका बंदरों को पकड़ने के लिए अनुमति की मांग करें। बंदर पकड़ने के बाद उन्हें किस जंगल में छोड़ा जाएगा यह काम वन विभाग का है। नगर पालिका के अधिकारियों का तर्क है कि बंदर पकड़ने के लिए वन विभाग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है। दो वर्ष पूर्व अभियान भी छेड़ा गया था, लेकिन मेनका गांधी के हस्तक्षेप के बाद अभियान बंद करना पड़ा। बंदरों को पकड़ने के लिए जो खर्चा आएगा उसे पालिका वहन करेगी। बंदर पकड़वाने का काम वन विभाग को करना है।

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