Disha Bhoomi
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Modinagarउत्तर प्रदेश के मोदीनगर शहर में अतिक्रमण को लेकर स्थानीय प्रशासन की सख्ती से लोगों में डर का हाल यह हैं कि लोग बुलडोजर को देखकर दहशत खा रहे हैं। शहर के मुख्य बाजार में प्रशासन ने अतिक्रमण की जद में आयी दुकानों पर लाल निशान लगाए तो व्यापारी भी खौफजदा हो गए। ऐसे में बुलडोजर से बचने के लिए दुकानदार दिन ही नहीं रात में भी खुद हथौड़े चलाकर दुकानों व उसके आगे का अतिक्रमण तोड़ रहे है।
प्रदेश सरकार के निर्देंश पर जिला प्रशासन के आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई कर रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर हुए अवैध कब्जे या अतिक्रमण के दायरे में आये भवनों पर प्रशासन का बुलडोजर चल चुका है। प्रशासन व पालिका ने शहर के मुख्य बाजार में अतिक्रमण पर कार्रवाई करते हुए गतदिनों गोविन्दपुरी पर हुये अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर की मदद से हटवा दिया है। आगे की कार्रवाही को लेकर व्यापारियों के साथ बैठकों का दौर जारी है।
वहीं गोविन्दपुरी में गतदिनों चली अतिक्रमण की कार्रवाही के दौरान पाया गया कि गोविन्दपुरी में दर्जनों दुकानें अतिक्रमण कर दो से तीन फिट तक सड़क पर बनी हुई है। प्रशासन ने अतिक्रमण तोड़ने के लिए इन दुकानों पर ही नही बल्कि दिल्ली मेरठ मुख्य मार्ग पर स्थित दुकानों पर भी लाल निशान लगवाने शुरु किये, तो दुकानदारों को पसीना आ गया। व्यापारियों ने अभियान का नेतृत्व कर रही एसडीएम शुभांगी शुक्ला से गुहार लगाई कि उनकी दुकानों पर बुलडोजर न चलाया जाये। क्योंकि इससे अतिक्रमण वाला हिस्सा ही नहीं बल्कि पूरी दुकान गिरने की संभावना है।
ऐसे में उन्होंने दुकानदारों को खुद ही अपना अतिक्रमण हटाने के लिए कहा था, जिस पर व्यापारियों ने सहमति दी। अब दुकानदार स्वयं ही दिन ही नहीं बल्कि रात में भी अपने अतिक्रमण वाले हिस्से को कोई हथौड़े से तोड़ रहे हैं तो कोई हैमर मशीन की मदद से तुडवा रहा है। इतना ही नहीं कुछ ने तोड़ लिया तो अब उसकी मरम्मत करायी जा रही है। यह सिलसिला दिन और रात जारी है।
वर्षों पुराने अतिक्रमण भी हुए ध्वस्तः
जिन दुकानों का अतिक्रमण वाला हिस्सा दुकानदारों ने खुद हटाया है उनके बारे में प्रशासन का कहना है कि दुकानदारों ने दुकानों को दो से तीन फिट आगे बढाकर उन पर दोबारा शटर लगवा लिए थे। यह अतिक्रमण काफी पुराना हो गया था। कुछ दुकानें तो ऐसी थीं जो लगभग 50 साल से इसी हालत में थीं। कई बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चले मगर कभी अतिक्रमण को नहीं हटवाया गया।

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