Disha Bhoomi
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Modinagar अपनों के सलामत लौटने के लिए लोग जहां दुआओं के लिए हाथ उठा रहे हैं। वहीं, फुटकर दुकानदारों ने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को भुनाने के लिए आपदा के असुर बने हुए हैं। फुटकर विक्रेता युद्ध को भी मुनाफाखोरी के चश्मे से देख रहे हैं। फुटकर बाजार में खाद्य तेल और अन्य सामग्री में 15 से 20 रुपये की तेजी देखने को मिल रही है। जबकि अब दो रुपये प्रति किग्रा तक थोक में खाद्य तेलों के भाव में कमी आई है। दालों के भाव स्थित चल रहे हैं।
कस्बों और मौहल्लों की दुकानों पर दालों में महंगाई बताकर मुनाफाखोरी में लगे हैं। थोक व्यापारियों का कहना है कि दालों के दामों पर महंगाई नहीं है। खाद्य सामग्री आसानी से बाजार में मिल रही है। दो से तीन रुपये का अंतर हर दिन रहता है। कभी दो तीन रुपये कम तो कभी तेज, बाजार में लगा रहता है। बाजार में दाल व्यापारियों का कहना है कि यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे युद्ध को लेकर बाजार पर कोई फर्क नहीं है, क्योंकि जितना माल मंगाया जा रहा है, उतना माल आसानी से मिल रहा है। सरसों के तेल में जरूर उछाल आया था। लेकिन, दालों के दामों में कोई तेजी नहीं है।
दालों के भाव
सामग्री फुटकर थोक विक्रेता
मटर 70-60
अरहर 80 से 85-75
मूंग 100 से 105-90
उड़द 95 से 100-85
तेल का भाव फुटकर थोक
सरसों तेल 180 से 18-176
रिफाइंड 175 से 180-168
वनस्पति घी 170 से 175-165
क्या कहते हैं व्यापारीः थोक व्यापारी अरविन्द कुमार अग्रवाल का कहना है कि दालों के दामों में कोई तेजी नहीं है। अब तो दालों का सीजन शुरू हुआ तो वैसे भी बढ़ने का सवाल नहीं। खाद्य तेल पर भी दो रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है। संजय गुप्ता ने बताया कि युद्ध से बाजार पर कोई असर नहीं पड़ा है। तेल की कीमतों में जरूर 5 से 10 रुपए का कम तेज रहता है। बाजार में कोई तेजी नहीं है। मुकेश कुमार का कहना है कि दाल का रेट बाजार में सही चल रहा है। यूक्रेन-रूस युद्ध का कोई असर दाल के कारोबार पर नहीं पड़ा है। मुकेश गुप्ता ने बताया कि बाजार में गल्ले का रेट सामान्य चल रहा है। इन दिनों में थोड़ा बहुत रेट चढ़ता उतरता ही रहता है।
ग्राहकों का दर्दः समीर गर्ग ने बताया कि हर चीज पर इतनी महंगाई हो गयी है। गरीब आदमी की मजदूरी वही है, लेकिन राशन पानी का खर्च बढ़ गया है। गौरव राठी का कहना है कि दाल हो या तेल सबके रेट आसमान छू रहे है। मध्यम वर्गीय परिवार जैसे तैसे अपने बच्चों का पेट पाल रहा है। इरफान अहमद ने बताया कि थोक विक्रेताओं के रेट सही होते है, लेकिन मजदूर आदमी छूटकर दुकानों से सामान खरीदता है। तो उसमें और महंगाई हो जाती है। एसडीएम शुभांगी शुक्ला का कहना है कि दालों और खाद्य तेलों की महंगाई को लेकर अगर कोई शिकायत आती है तो जांच कराकर कार्रवाही की जायेंगी।

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