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गिन्नी देवी मोदी गर्ल्स पीजी कॉलेज में दिनांक 13/02/2022 को कवियत्री सरोजिनी नायडू के जन्मदिन के उपलक्ष में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया ।
इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ साधना तोमर, विभागाध्यक्षा, हिंदी, जनता वैदिक कॉलेज, बडौत ने बताया कि इन दिवसों को मनाने की सार्थकता तभी मानी जाएगी जबकि समाज में महिलाओं को बराबर का सम्मान मिले।आदि काल से ही नारी पुरुष का साथ निभा कर अपना फर्ज पूरा करती आ रही है। परन्तु पुरुष, यदि कोई महिला उससे ऊंचे पद पर पहुंच जाएं तो वह इस बात को सहन नहीं कर पाता है। इसलिए पुरुषों को अपनी इस संकीर्ण मानसिकता को बदलना पड़ेगा। वास्तविक रूप में नारी जिस सम्मान की हकदार है उसे वह अवश्य मिलना चाहिए।
चौधरी हरपाल सिंह जी इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि की भूमिका में थे, ने कहा, सदियों से महिलाओं को बराबर का सम्मान मिलता रहा है। अपने छात्र जीवन के अनुभव बताते हुए कहते हैं कि जब मैं पढ़ता था तो हमारी मैथ की क्लास में एक भी छात्रा नहीं होती थी लेकिन आज हर क्षेत्र में बराबर की हिस्सेदारी निभा रही हैं परंतु अगर इसी चीज का दूसरा पक्ष देखा जाए तो लड़कियों का व्यवहार पहले की अपेक्षा बहुत खराब होता चला जा रहा है ।अतः उसको बदलने की आवश्यकता है।
श्रीमती अनिला आर्य जी, समाजसेविका, मुख्य वक्ता, अपने वक्तव्य में कहती हैं कि पहले सती प्रथा का प्रचलन था परंतु उस समय में महिलाओं के नाम पर कुछ भी संपत्ति नहीं होती थी। लेकिन आज मायके और ससुराल दोनों ही मैं उसको संपत्ति का बराबर का हक मिलता है। इसलिए लड़कियों को पढ़ना बहुत आवश्यक है। आज लड़कियों का प्रतिशत उच्च शिक्षा के लिए बढ़ता चला जा रहा है। पहली बार सरकार ने एनडीए परीक्षा में लड़कियों को भी अवसर प्रदान किया है। इसलिए जो भी उत्सव लड़का होने पर मनाए जाते हैं उसी तरह के सभी अवसर लड़की होने पर भी मनाए जाने चाहिए। गांव में चिकित्सा सुविधाएं अच्छी नहीं है। हमें गांव की ओर चलना चाहिए लेकिन गांव को शहर नहीं बनाना है। उसकी हवा, पानी तथा शुद्धता को वैसे ही बनाए रखना है क्योंकि किसान देश की रीढ़ होता है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ रंजू नारंग, प्रधानाचार्या, श्री शालिग्राम शर्मा स्मारक पी जी कालिज का कथन था कि इस प्रकार महान हस्तियों के ऊपर चर्चा करना बहुत आवश्यक है जिससे आगे आने वाली पीढ़ियां इनको अपना रोल मॉडल मान कर उनका अनुसरण करें। कन्या कोई दान की वस्तु नहीं होती है जिसको शादी के समय कन्यादान कह कर के दिया जाता है। पुरुष की अपेक्षा एक महिला बिना क्रोधित हुए, बिना उत्तेजित हुए विपरीत परिस्थितियों में भी काम कर सकती है जबकि पुरुष ऐसा नहीं कर पाते हैं।

कार्यक्रम की संयोजिका डॉ मीनू अग्रवाल, विभागाध्यक्षा, अर्थशास्त्र, सह संयोजिका एवं संचालिका डॉ सरिता जैन, प्रवक्ता, अर्थशास्त्र तथा
डॉ सुमन लता प्रवक्ता, अर्थशास्त्र थीं।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में 66 छात्राओं के साथ-साथ डॉ राखी मित्तल, गृह विज्ञान विभाग, श्रीमती सुमन लता, पुस्तकालय अध्यक्षा तथा श्रीमती अंजलि, सेवानिवृत्त पुस्तकालय अध्यक्षा और इग्नू की सह संयोजिकाऐं कुमारी प्रिया कुमारी योगिता तथा श्रीमती रश्मि शर्मा की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम की शोभा को बढ़ाया।

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