Modinagar : क्रोनिक स्पाइन एंड ज्वाइंट पेन स्पेशलिस्ट डॉ0 नवनीत गुप्ता ने बताया कि स्लिप डिस्क का इलाज अब मिप्सी (एमआईपीएसआई) तकनीक द्वारा बिना ऑपरेशन के भी संभव है। उनका कहना है कि जब शरीर में कोई भी दर्द तीन महीने से ज्यादा समय तक बना रहता है तो वह क्रोनिक पेन की श्रेणी में आ जाता है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ0 नवनीत गुप्ता ने बताया कि क्रोनिक पेन के इलाज में खास दिक्कत यह है, कि वह किसी ऐसी बीमारी की वजह से उत्पन्न होता है, जिसका इलाज लंबे समय तक करने की जरूरत होती है और उसे जड़ से ठीक कर पाना मुश्किल होता है। जैसे घुटना व कंधे का दर्द, गर्दन का दर्द (सर्वाइकल रेडिकुलोपेथी) कमर का दर्द, (साइटिका) बर्जर डिसीज, ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी व अन्य नसों के दर्द। स्लिप डिस्क यदि गर्दन में हो और हाथों में दर्द जाए तो उसे सर्वाइकल रेडिकुलोपेथी कहा जाता है और अगर कमर से दर्द पैरों में जाए तो लंबर रेडिकुलोपेथी साइटिका कहा जाता है।
मोबाईल और लैपटॉप के सामने घंटों तक बैठना रोग का कारण
कोरोना काल में क्लासिस व ऑफिशियल वर्क ऑनलाइन होने के कारण मोबाईल और लैपटॉप के सामने घंटों तक बैठे रहना पढ़ता है, जिस कारण स्लिप डिस्क की समस्या आजकल यंग स्टूडेंट्स व एमएनसी वर्कर्स में बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। मिनिमली इनवेसिव पेन एंड स्पाइन इंटवेंशन (एमआईपीएसआई) द्वारा स्लिप डिस्क के ऐसे मरीजों को बिना ऑपरेशन के दर्द से राहत दिलाई जा सकती है। इस तकनीक से एक्स.रे मशीन में देखते हुए सुईं द्वारा डिस्क और नस के बीच में सूजन कम करने वाली दवाई डाली जाती है। जिससे नस पर से दबाव कम हो जाता है और गंभीर मरीजों को भी बिना ऑपरेशन के दर्द से राहत मिल जाती है। इस प्रोसीजर  को ट्रांसफोरामिनल न्यूरोप्लास्टी कहा जाता है। डॉ0 नवनीत गुप्ता ने बताया की इस प्रोसीजर को करने के लिए मरीज को डे-केयर में 2 से 4 घंटे के लिए भर्ती किया जाता है और उसी दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है ।

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