Modinagar ।  गुलामी की बेड़ियों से देश को स्वतंत्र कराने की लड़ाई कब शुरू हुई बताना कठिन है, लेकिन गोस्वामी तुलसीदास ने जब पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं का उद्घोष किया तो उनके मानस में देश को स्वतंत्र कराने की ही कामना रही होगी। उन जैसे संतों ने ही हमारे अंदर स्वाभिमान की चिंगारी पैदा की, जो आगे चलकर स्वतंत्रता व स्वराज की मशाल बनकर उभरी और 1947 में हमने आजादी प्राप्त की। स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर शुरू हुआ आजादी का अमृत महोत्सव स्वावलंबन की दिशा यंहा एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
शनिवार को अमृत महोत्सव आयोजन समीति के तत्वाधान में मुलतानीमल मोदी स्नातकोत्तर कालिज के सभागार में एक शाम शहीदों के नाम से आयोजित कार्यक्रम का शुभारभ मुख्य अतिथियों ने शहीदों के चित्र पर माल्यापर्ण व दीप प्रज्जवलित कर किया। इतना ही नही कार्यक्रम में चार सैनिकों व आजादी के समय भारत विभाजन एंव विभीषिका की साक्षी रही पाकिस्तान में जन्मी चन्द्रमोहनी अरोड़ा को सम्मानित किया गया। मेरठ से पधारे कवि योगेश समदर्शी ने कहा कि खुशी का दौर था, आखों में फिर भी गम निकल आया, जिसे नापा कसोटी पर वही दम कम निकल आया। सुल्तान सिंह सुल्तान ने सुनाया कि तिरंगे से बड़ा सिर था, कोई सेहरा नही देखा, यंहा मां बाप से गहरा कोई  रिश्ता नही देखा। गाजियाबाद के अंकित चहल विशेष ने फरमाया कि बलिदानों के कलश रखें है, भारत माता ने चैखट पर सौ बंदरबार संजायें दुर्गा भाभी ने द्वारे पर दुल्हा भगत गया लाने को, चढ़कर फांसी की घोड़ी पर। भारत भूषण खंजरपुरिया ने बड़े की जोशीले अंदाज में पढ़ा कि गांधीवादी भी करते है बात कहां अब गांधी की, धूल कहंा तक फैलेगी इस नफरत वाली आंधी की। इसके अ लावा   कोमल रस्तौगी, प्रदीप भारद्वाज, रामकुमार गुप्ता सौमित्र, रोहित शर्मा, वरिष्ठ कवि डाॅ0 सुरेन्द्र सिंह, अमित अरोड़ा आदि कवियों ने अपनी कविताओं से श्रुताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान विधायक डाॅ0 मंजू शिवाच, जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल, ब्लाक प्रमुख श्रीमती सुचेता सिंह, आशीष चैधरी तिबड़ा, दीपक गुप्ता, अनुराग, हरपाल सिंह, राजेश चन्द्र शर्मा, सुरेश सिंघल, अरविन्द गुप्ता, बागीश रूहेला, शीलवद्र्वन गुप्ता व महेश तायल आदि मौजूद रहें।

Disha Bhoomi
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