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दिल्ली सहारनपुर मार्ग पर लगा जाम

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आवास विकास परिषद (आविप) के खिलाफ बढ़े मुआवजे की मांग कर रहे मंडोला समेत 6 गांवों के किसान बृहस्पतिवार को दिल्ली-सहारनपुर रोड पर बैठ गए। किसान भाजपा के जनप्रतिनिधियों को मौके पर बुलाने और शासन से वार्ता करने की मांग करने लगे। किसानों ने चार घंटे तक एक लेन बंद रखी। अधिकारियों ने वार्ता का आश्वासन देकर किसानों को सड़क से हटाया।
किसान दोपहर एक बजे धरने पर बैठ और शाम पांच बजे उठे। किसान लोनी से बागपत जाने वाले रूट पर बैठे थे, ऐसे में दूसरी लेन में ही वाहनों की आवाजाही रही। दो दिसंबर 2016 को मंडोला गांव में आविप के खिलाफ बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर किसान आंदोलन की शुरूआत हुई थी। किसान नेता नीरज त्यागी ने बताया कि उस समय सपा की सरकार थी तब भाजपा के नेता और जनप्रतिनिधि किसानों से मिलने मंडोला आए थे। इन लोगों ने किसानों की आवाज उठाने की भी बात कही थी। भाजपा की सरकार बनने पर मुद्दे का हल निकालने की बात कहीं थी। अब कोई नेता यहां नहीं आता है। बृहस्पतिवार को आंदोलन को पांच साल पूरे होने और मांगे पूरी न होने पर किसानों दिल्ली-सहारनपुर रोड की एक लेन बंद कर दी। एसडीएम संतोष कुमार राय, तहसीलदार शिव नरेश सिंह, एसपी देहात डॉ. इरज राजा ने किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े रहे।

विस चुनाव में भाजपा का करेंगे विरोध
किसानों ने कहा कि पहले सपा की सरकार में भाजपा ने किसानों के आंदोलन की शुरूआत कराई थी। अब किसान इस विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी का विरोध करेंगे। नीरज त्यागी ने बताया कि वह पहले भाजपा के पदाधिकारी थे, लेकिन पार्टी ने किसानों की पीड़ा को नहीं समझा। इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
पांच साल में 12 किसानों की मौत
किसानों का कहना है कि मांगों को लेकर किसानों ने सिर मुड़ाकर, मानव श्रृखंला बनाकर विरोध किया। आमरण अनशन, समाधि, घुटने के बल पर जाकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन तक दिया। इसके बावजूद नेता अपने वादे भूल गए। किसानों ने बताया कि पिछले पांच वर्ष में आंदोलन से जुड़े 12 किसानों की मौत हो चुकी है।
किसानों ने खाई पुलिस की लाठियां
शासन द्वारा बनाई गई कमेटी से वार्ता नहीं होने पर किसानों ने मंडोला में हो रहे आविप के कार्यों को रोका था। दो जून 2017 को किसानों द्वारा काम रोके जाने पर प्रशासन के आदेश के बाद पुलिस ने लाठी चार्ज किया था। कई किसान घायल हुए थे।

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