Disha Bhoomi
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Modinagar। बच्चों की पढ़ाई के लिए अभिभावकों को अब कुछ ज्यादा ही जेब ढीली करनी पड़ रही है। फीस वृद्धि के साथ किताब, कापी, स्टेशनरी, स्कूल बैग, ड्रेस व जूता पर 25 से 30 प्रतिशत तक पैसा बढ़ा है। कोरोना संकट के चलते दो साल बाद स्कूल खुलने से बाजार में स्कूली जूतों की बाजार में उपलब्धता कम है। कारोबारियों का तर्क है कि बाजार में मांग अधिक है, जबकि मैन्युफेक्चरिंग कम है। इस कारण 40 से 50 दिन पुराने आर्डर भी नहीं मिल रहे हैं
जीएसटी भी महंगाई का कारण
महामारी का संकट छटने के बाद बच्चों के लिए स्कूल खुल चुके हैं। स्कूल बंदी को लेकर कंपनियों ने ड्रेस व जूता की मैन्युफेक्चरिंग का जोखिम नहीं लिया। अब जब स्कूल खुल गए हैं। जूतों की मांग भी बढ़ी है। जूतों का रा मेटेरियल पर 20 से 25 प्रतिशत की महंगाई है। पहले जीएसटी पांच प्रतिशत था, एक अप्रैल से यह 12 प्रतिशत हो गया है। ड्रेसेज शोरूम के मालिक का कहना है कि बाजार में जूतों की महंगाई का सबसे बड़ा कारण जीएसटी का बढ़ना भी है। पिछले दो साल से स्टाक में जूता थे, वह खराब हो गए। हमने नामचीन जूतों की ब्रांडेड कंपनी को यह माल वापस किया है। पिछले 40 दिन से आर्डर दिया है। एक सप्ताह तक आने की उम्मीद जताई है। ड्रेस का फेब्रिक भी बाजार में कम है। इस लिए हमें बल्क में कपड़ों के थान भी नहीं मिल रहे।
लंच बाक्स, पानी की बोतल हुई महंगी
ब्रांडेड कंपनियों ने प्लास्टिक के लंच बाक्स व पानी की बोतल पर 20 प्रतिशत एमआरपी बढाई है। कारोबारी रामोतार अग्रवाल ने बताया है कि लांच बाक्स व पानी की बोतल पर कंपनियों ने तीन बार पैसा बढ़ाया है। दो बार में 10-10 प्रतिशत की बढोत्तरी की। बाद में 100 रुपये वाली पानी की बोतल की एमआरपी 120 रुपये कर दी। इसी हिसाब से लंच बाक्स व पानी की विभिन्न क्वालिटी की बोतल महंगी हुई हैं। कारोबारियों का मुनाफा भी कम हो गया है। अभिभावकों पर पैसों का बोझा बढ़ा है। 20 से 25 प्रतिशत स्कूल बैग भी महंगे हुए हैं।
कमीशन खोरी ने दी महंगाई को हवा
बुक डिपो के मालिकों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि इस महंगाई के लिए स्कूल संचालकों की कमीशन खोरी भी जिम्मेदार है। जो कापी 120 पेज की 20 रुपये की आती है, वही कापी पर स्कूल मालिक नाम लिखवाकर 60 रुपये में बिकवाते हैं। बिना नाम लिखी कापी अगर बच्चा ले जाता है, उस पर दबाव बनाया जाता है। पेपर 30 प्रतिशत तक महंगा हुआ है। कापी के प्रकाशकों ने कापी के पेज कम कर पैसा भी बढाए हैं। एक बच्चे पर 10 हजार रुपये तक खर्चा आ रहा है।
अभिभाविका कीर्ती देवी का कहना है कि बच्चों के लिए गोविन्दपुरी स्थित एक दुकान से ड्रेस के जूता खरीदे हैं। छोटे बच्चे होने के चलते उनके साइज के जूता मिले ही नहीं। 200 रुपये वाला जूता 300 रुपये में मिला है।
अभिभवक रमेश चन्द्र गोयल ने बताया कि बाजार में स्कूल संबंधी हर वस्तु महंगी मिली है। बच्चों की ड्रेस डेढ गुना महंगी मिली है। लंच बाक्स व पानी की बोतल पर भी पैसा बढकर आए हैं। हाउस गेम की ड्रेस अभी मिली नहीं है।

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